जस्टिस वर्मा ने कहा कि बलात्कार, यौन उत्पीड़न, छेड़खानी या गलत नीयत से पीछा करना गंभीर विषय हैं और इन्हें हमारा समाज बर्दाश्त कर रहा है। कमेटी ने कहा कि छेड़छाड और गलत नजर रखने वाले और इंटरनेट पर जासूसी करने वाले को 1 साल की सजा दी जानी चाहिए। हालांकि कमेटी ने रेप के सामान्य मामलों में फांसी की सजा न देने की वकालत की है। कमेटी ने केवल रियरेस्ट ऑफ दे रियर केस में ही फांसी दिए जाने की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया कि अपराध कानून की कमी नहीं बल्की सुशासन की कमी से होते हैं। कमेटी ने कपड़े फाडने पर सात साल की सजा की सिफारिश की है।
गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद जस्टिस वर्मा ने प्रेस
कांफ्रेंस में कहा कि यदि कमेटी 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंप सकती है तो
सरकार भी इस पर जल्द अमल कर सकती है। उन्होंने कहा, 'हमें समाज के हर
तबके से सुझाव मिले। हमने सभी से बात की। सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी बात
की। युवाओं के सुझाव मिले। विदेशों से भी सुझाव मिले। हमने हर सुझाव पढ़े
और उस पर विचार किया। कल हमें 80 हजार सुझाव मिले थे, हमने हर सुझाव पढ़े।
29 दिनों में रिपोर्ट तैयार की है।'
जस्टिस वर्मा ने कहा कि पुलिस का काम केवल अपराधियों को सजा दिलाना ही
नहीं है बल्कि पुलिस को अपराध रोकने के लिए भी सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने
कहा, 'मैं उस वक्त हैरान हुआ जब गृह सचिव ने पुलिस कमिश्नर की तारीफ की।
हमारे पास कानून तो हैं लेकिन संवेदनशीलता नहीं है।'
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