उच्चतम
न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस के एक मुस्लिम सिपाही द्वारा दाढ़ी रखने के
सवाल पर केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। यह सिपाही चाहता है
कि उसे उसके धार्मिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए लंबी दाढ़ी रखने की
अनुमति दी जाए।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन
गोगोई की खंडपीठ, सिपाही जहीरुद्दीन शमसुद्दीन बेदादे की याचिका पर
केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किए। इन दोनों सरकारों को चार
सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है।
इस सिपाही ने अपनी दाढ़ी बढा ली है। बढ़ी
हुई दाढ़ी बनाने से इंकार करने के कारण छह महीने पहले उसके खिलाफ विभागीय
कार्रवाई शुरू की गई है।
महाराष्ट्र राज्य आरक्षी पुलिस बल में जालना
में 2008 में बतौर सिपाही भर्ती हुए जहीरुद्दीन ने बंबई उच्च न्यायालय की
औरंगाबाद बेंच के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने
इस सिपाही को दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति नहीं देने के प्रशासनिक निर्णय को
सही ठहराया था।
जहीरुद्दीन के वकील का कहना था कि कुछ
मामलों में केन्द्र ने मुस्लिम पुलिसकर्मियों को धार्मिक परंपरा के कारण
करीने से कटी हुई दाढ़ी रखने की अनुमति दी है। इस सिपाही को मई 2012 में
दाढ़ी रखने की अनुमति दी गई थी, लेकिन महाराष्ट्र में सेवा नियमों से
संबंधित नियमों में बदलाव के कारण नौ अक्तूबर, 2012 को उसे दाढ़ी रखने के
बारे में दी गयी अनुमति रद्द कर दी गयी थी।
उच्च न्यायालय ने दाढ़ी रखने के लिये जहीरुद्दीन की याचिका खारिज कर दी थी।
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