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31 जनवरी 2013

देवी सूक्त पाठ : शक्तिशाली देवी मंत्रों से फलता-फूलता

देवी सूक्त पाठ : शक्तिशाली देवी मंत्रों से फलता-फूलता है घर-परिवार

शुक्रवार देवी उपासना का विशेष दिन होता है। इस दिन शक्ति साधना में ही मां दुर्गा की शक्तियों की महिमा से ओतप्रोत देवी सूक्त का पाठ भक्त की हर मनोरथ को पूरी करता है, काम में आने वाली अड़चनो को दूर करता है, मानसिक संताप दूर करता है, धन, ऐश्वर्य और वैभव देकर आनंद और शांति देता है।
जानिए शुक्रवार को दुर्गा पूजा की सरल विधि के साथ देवी सूक्त। इसके मंत्रो का शुभ प्रभाव  खुशहाली के साथ व्यक्तिगत रूप से भी मन की व्यग्रता को दूर करने वाला सिद्ध होगा। अगली तस्वीर पर क्लिक कर जानिए ये देवी मंत्र - 

शुक्रवार को स्नान कर देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखें। दुर्गा पूजा के लिए दुर्गा प्रतिमा न होने पर माता के किसी भी स्वरूप महादुर्गा, महालक्ष्मी, सरस्वती या कुलदेवी की ही पूजा की जा सकती है। 
- माता को जल स्नान कराएं। उसके बाद गंध, रोली, लाल फूल, अक्षत अर्पित करें।
- माता को मौसमी फल, घी से बने हलवा, चने का भोग लगाएं।
- मां दुर्गा की उपासना के लिए नीचे लिखे देवी सूक्त का पाठ श्रद्धा व भक्ति से करें।
- अंत में धूप और घी का दीप जलाकर दुर्गा मां की आरती करें और मनोरथ पूर्ति या कष्टों के अंत के लिये प्रार्थना करें।
देवी सूक्त

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥1॥
रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्स्ना यै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥2॥
कल्याण्यै प्रणतां वृध्दै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः।
नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥3॥
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यातै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥4॥
अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥5॥
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शाध्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥6॥
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥7॥
या देवी सर्वभूतेषु बुध्दिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥8॥
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥9॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥10॥
या देवी सर्वभूतेषु छायारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥11॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥12॥
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥13॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥14॥

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