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03 जनवरी 2013

वोल्वो में होती रही महिला से अश्लीलता, थाने पहुंची तो पुलिस ने यूं दिया जवाब!


जोधपुर.दिल्ली दुष्कर्म की घटना के बाद जबकि देश महिलाओं के प्रति अपराधों के मामले में कठोर कानून का इंतजार कर रहा है, जोधपुर में गुरुवार को पुलिस के रवैये और तकनीकी जटिलताओं से जुड़ा ऐसा मामला सामने आया है जिस पर बहस और एक्शन की गुंजाइश है। दरअसल, गुरुवार को जयपुर से आ रही वोल्वो बस में बच्चे के साथ सफर कर रही एक महिला को डेढ़ घंटे तक एक युवक परेशान करता रहा। 
 
बगल की सीट पर बैठे इस युवक ने उस पर अश्लील फब्तियां कसीं और लगातार उसे छूने की कोशिश करता रहा। इतना ही नहीं महिला को परेशान करने के लिए उसने उसके बच्चे को भी गोद में लेने का प्रयास किया। आखिरकार महिला ने साहस दिखाया और कंडक्टर को बुलाकर युवक की शिकायत की। कंडक्टर ने युवक को डांटते हुए सीट से उठने को कहा और अपनी बगल में बैठा लिया। जोधपुर पहुंचने के बाद युवक को राईकाबाग पुलिस चौकी ले जाया गया। सारी आपबीती सुनने के बाद यहां की पुलिस ने टका सा जवाब दिया कि छेड़छाड़ बिलाड़ा में हुई है इसलिए मामला भी वहीं के थाने में दर्ज करवाइए।
 
महिला को मुखर होते देख और परिजनों का भारी दबाव पड़ने से पुलिस को इस मामले में बाद में एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। लेकिन सवाल यह उठ खड़ा हुआ कि जब महिलाओं की गरिमा के साथ खिलवाड़ के मामलों में सख्ती की बात हो रही है तो थाना क्षेत्र की इस बाध्यता का कुछ नहीं किया जा सकता? गौरतलब है कि छेड़छाड़ उदयमंदिर थाना क्षेत्र में ही दर्शाकर मामला दर्ज किया गया, वह भी दोनों पक्षों के रजामंदी से।
 
 
‘कुछ भी हो, उसे नहीं छोड़ूंगी’
  
'मेरी गोद में बच्च था। मैं डेढ़ घंटे सहती रही। पुलिस को तो ऐसा लगा जैसे मेरे साथ कुछ हुआ ही नहीं, जबकि मेरी जान निकल गई थी। कंडक्टर सर ने जांबाजी दिखाई। पुलिस का व्यवहार तो उस पीड़ा से भी ज्यादा दर्द देने वाला रहा। अब चाहे कुछ भी हो.. मैं उसे छोड़ूंगी नहीं।’  
 
(मुकदमा दर्ज करने के बाद जैसा महिला ने बताया।)  
 
 
आरोपी की बेजां हरकतें और पुलिस की असंवेदनशीलता, पढ़िए आगे की स्लाइड्स में>>>
 
 
बड़ा सवाल
 
 
राह चलते किसी अन्य थाना क्षेत्र में किसी के साथ लूट, डकैती या चोरी हो गई, तो पुन: संबंधित थाने में जाकर मामला दर्ज करवाने की बात कानूनसम्मत होने के साथ उचित भी लगती है। लेकिन, यही मामला किसी महिला की अस्मिता से जुड़ा हो तो भी क्या पुलिस के सामने यही मजबूरी रहनी चाहिए। क्या कठोर कानून बनने से पहले या साथ ही ऐसी जटिलताओं को दूर करने की जरूरत है? अपनी राय हमें 8764233320 नंबर पर जरूर एसएमएस करें।
 

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