प्राचीनकाल से ही पुराण मनुष्यों का मार्गदर्शन करते रहे हैं। पुराण
मनुष्य को धर्म एवं नीति के अनुसार जीवन बिताने की शिक्षा देते हैं । पुराण
मनुष्य के किस कर्म का कैसा फल मिलता है इस पर प्रकाश डालते हैं। पुराण
मूल रूप से वेदों का विस्तार है। कुल अठारह पुराणों को मुख्य माना गया है
ब्रह्मपुराण: 14000
पद्मपुराण: 55000
विष्णुपुराण: 23000
शिवपुराण: 24000
श्रीमद्भावतपुराण: 18000
नारदपुराण: 25000
मार्कण्डेयपुराण: 9000
अग्निपुराण: 15000
भविष्यपुराण: 14500
ब्रह्मवैवर्तपुराण: 18000
लिंगपुराण: 11000
वाराहपुराण: 24000
स्कन्धपुराण: 81100
वामनपुराण: 10000
कूर्मपुराण: 17000
मत्सयपुराण: 14000
गरुड़पुराण: 19000
ब्रह्माण्डपुराण: 12000
कुरान शरीफ में एक सो च्व्दाह आयतें है
इस प्रकार सारे पुराणों के श्लोकों की कुल संख्या लगभग 403600 (चार
लाख तीन हजार छ: सौ) है। इसके अलावा रामायण में लगभग 24000 एवं महाभारत में
लगभग 110000 श्लोक हैं।
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