आपका-अख्तर खान

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28 जनवरी 2013

धर्म निरपेक्ष का अर्थ है जो धर्म को नहीं मानता हो धर्म पर नहीं चलता हो


उनका कहना है कि हवा को धर्म निरपेक्ष होना चाहिये
मंदिर के करीब से युँ न गुजरे कि घंटिया बज उठे
मस्जिद के पास से हवाएं ऐसी ना गुजरें
के मुअश्शिन को अज़ान देने में खलल पढ़ जाए .......
दोस्तों धर्म निरपेक्ष का अर्थ है जो धर्म को नहीं मानता हो धर्म पर नहीं चलता हो अब जब शासन धर्मनिरपेक्ष है उसका कोई धर्म नहीं तो फिर ईमान उसमे कहा से आयेगा ..इंसाफ वोह कहाँ से लाएगा कहाँ होंगी उसमे संवेदना ..कहाँ होगा उसमे अपनापन ..दूसरों के लियें दर्द ..गरीबों की तकलीफों का निराकरण ...महंगाई से त्राहि त्राहि करती जनता का मर्म समझने की अक्ल क्यूंकि यहाँ तो धर्म है ही नहीं और यह मर्यादाएं ..शर्म लिहाज़ ..इन्साफ .....ईमानदारी निष्पक्षता तो केवल और केवल धर्म सिखाता है कुरान सिखाता है गीता सिखाती है बाइबिल सिखाती है   ..गुरुवाणी सिखाती है और अगर धर्म के बारे में हमारी सरकार हमारा संविधान निरपेक्ष है तो भाई फिर इन सब की इस सरकार से इस कानून से उम्म्मीद करना बेमानी है ..सही कहा या गलत मुझे पता नहीं इसका फेसला तो आपको करना है ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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