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24 जनवरी 2013

मजिस्‍ट्रेट ने लड़की से कहा- कपड़े उतारो, विरोध करने पर दी धमकी!


मजिस्‍ट्रेट ने लड़की से कहा- कपड़े उतारो, विरोध करने पर दी धमकी!
नई दिल्ली. दिल्ली की जूवनल जस्टिस कोर्ट ने दामिनी गैंगरेप के छठे और नाबालिग आरोपी की सुनवाई रेगुलर कोर्ट में कराने से इंकार कर दिया है। वहीं रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाने के लिए सुझाव देने के लिए बनाई गई जस्टिस वर्मा कमेटी ने भले ही सुझाव दिया हो कि नहाते या कपड़े बदलते महिला की मर्जी से खिंचवाई गई तस्‍वीर को भी पब्लिक करने पर इसे अपराध माना जाना चाहिए, लेकिन इलाहाबाद में एक मजिस्‍ट्रेट पर छेड़खानी का आरोप लगा है। मजिस्‍ट्रेट के चैंबर में बयान कलमबंद कराने गई लड़की का आरोप है कि मजिस्‍ट्रेट ने लड़की से कहा कि अपने साथ हुई घटना की पुष्टि के लिए वह कपड़े उतारे। मना करने और शोर मचाने पर मजिस्‍ट्रेट ने 'बयान खराब करने' की धमकी तक दे डाली। यह मामला गोण्‍डा सिविल कोर्ट का है। लड़की ने इसकी शिकायत सिविल बार एसोसिएशन से की तो वकील भड़क गए। उन्‍होंने प्रदर्शन और काम का बहिष्‍कार करके विरोध जताया। बताया जाता है कि हाईकोर्ट की ओर से जिला जज को मामले की रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया।
 
उधर, जस्टिस वर्मा कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी। इसमें कई सिफारिशें की गई हैं। 630 पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी ने महिला अपराधों में लिप्त नेताओं को चुनाव से दूर रखने के लिए कानून में बदलाव की बात कही है। साथ ही जिन नेताओं पर ऐसे केस चल रहे हैं उन्हें तुरंत सदस्यता से इस्तीफा देने को भी कहा गया है। 
 
सिफारिशों से सरकार में बेचैनी बढ़ गई है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कमेटी को केवल दुष्कर्म संबंधी कानूनों में बदलाव के लिए सुझाव देने को कहा था। लेकिन वह अपनी टर्म्‍स ऑफ रेफरेंस से आगे बढ़ गई है। इसलिए देखना होगा कि सरकार इस रिपोर्ट का कितना हिस्सा स्वीकार करती है। यही बात पीएमओ में राज्यमंत्री नारायणस्वामी ने भी कही। उनका कहना है कि सरकार अध्ययन करेगी और अगर इसके किसी हिस्से पर सहमति बनेगी तो ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। 
 
समिति ने महिला को निर्वस्त्र करना, महिला के प्राइवेट एक्ट जैसे नहाना या कपडे बदलना आदि के समय उसके कमरे में झांकना या गुप्त कैमरा से तस्वीर उतारने को भी सजायाफ्ता बनाने की सिफारिश की है। इसके लिए सेक्शन 354 (ए) और 354 (बी) को जोडने को कहा है। यह भी कहा गया है कि यदि महिला ऐसे निजी एक्ट की तस्वीर खिंचवाने को अगर तैयार भी हो जाये तो उसे किसी तीसरे व्यक्ति को दिखाना या प्रसारित और प्रचारित करना भी दंडनीय होना चाहिए। दिल्ली के एक स्कूल के एमएमएस कांड और ऐसे कई मामलो को ध्यान रखते हुए जिसमे महिला अपने प्रेमी या पति के साथ निजी क्षणों को रिकॉर्ड करने देती है मगर उसके साथ विश्वासघात होता है और उन्हें इन्टरनेट में डाल दिया जाता है जिससे उसकी बदनामी होती है। कई लड़कियों ने तो आत्महत्या तक कर ली है। 
 
समिति ने कुछ नए मौलिक सुझाव भी दिए हैं। जैसे नाबालिग के साथ बलात्कार के लिए एक नया आईपीसी सेक्शन 376 बी (1) जोडने को कहा है और ऐसे बलात्कार के मामले जिनमे महिला जिंदा लाश बन कर रह गयी है उसमे सजा कम से कम 20 साल की कठोर कारावास हो जिसे बाधा कर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है 376 (बी) (2)। साथ ही अपराधियों को ऐसी महिला के इलाज का पूरा खर्च भी उठाना होगा। मुंबई की अरुणा शानबाग का एक ऐसा मामला है जिसमे ये महिला नर्स एक बलात्कार के बाद पिछले 38 साल से जिंदा लाश बन कर रह गयी है। उसने सुप्रीम कोर्ट से स्वेच्छा से मौत पाने की इच्छा जाहिर की थी जिसे अदालत ने नकार दिया।

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