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17 जनवरी 2013

:इश्‍क की खातिर जब इस महाराजा ने उतार फेंके वस्‍त्र तो भीग गई ' वो'आंखें


PICS:इश्‍क की खातिर जब इस महाराजा ने उतार फेंके वस्‍त्र तो भीग गई ' वो'आंखें
चंडीगढ़। लाहौर को जीतने के बाद महाराजा रणजीत सिंह को मुल्तान के नवाब मुजफर खान ने मित्रता करने के लिए बुलाया। महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सेना को लाहौर वापस भेज दिया और कुछ दरबारियों के संग वह मुल्तान पहुंचे। वहां उनका नवाब के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। महाराजा की शान में वहां महफिल बुलाई गई। इस महफिल में मुल्ताने की एक नर्तकी मोहरां ने जब नृत्य पेश किया तो महाराज उस पर फिदा हो गए। मोहरां बहुत ही खुबसूरत थी मानो जन्नत से कोई परी धरती पर उतर आई हो। दिनोदिन महाराजा रणजीत सिंह और मोहरां के प्रेम प्रसंग बढऩे लगे। मोहरां क्योंकि मूसलमान थी इसलिए महाराजा के लिए उससे शादी करना बहुत कठिन था। मोहरा के माता पिता से बातचीत करने के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मोहरा को लाहौर भेजने का आग्रह किया और स्वयं लाहौर लौट आए। कुछ समय के बाद मोहरा लाहौर आ गई जहां उसके रहने का शाही प्रबंध कर दिया गया। महाराजा रणजीत सिं सिक्खी धर्म को मानने वाले थे इसलिए वह मोहरा से चोरी छुपे मिलते थे। लेकिन इश्क और मुश्क कहां छुपता है। महाराजा के गुप्त चरों ने एक दिन दोनों को देख लिया और बात राज्य में आग की तरह फैल गई। ये सब  जिक्र तिलकराज गोस्‍वामी ने आपनी किताब में कर रखा है।इश्‍क की यह बात जब अकाल तख्त तक पहुंच गई तो बवाल मच गया मोहरा की खातिर कैसे महाराजा कोड़े खाने व झूठे बर्तन मांजने के लिए तैयार हो गए

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