जयपुर। अलमस्त शहर। बीकानेर। बेफ्रिक लोग। अपना जीवन-यापन बिना
किसी फ्रिक के करते हैं। वजह बिल्कुल आइने की तरह साफ है। बीकानेर के
संस्थापक राव बीकाजी अलमस्त स्वभाव के थे। उस समय ऐसा दौर था जब बेटा पिता
को मार कर गद्दी हासिल कर लेता था। लेकिन राव ने जोधपुर की सत्ता हथियाने
के लिए ऐसा कोई हथकंडे नहीं अपनाए। जैसा कि इतिहास में मिलता है राव मालदेव
ने अपने पिता राव गांगा को गढ़ की खिड़की से नीचे फेंक कर जोधपुर की सत्ता
का बांगडोर अपने हाथों में ले लिया था। इतिहासकारों की मानें तो बीकाजी ने
बातों ही बातों में जोधपुर की गद्दी तक छोड़ दी थी। ऐसा भी कहा जाता कि
बीकानेर नगर की स्थापना के पीछे एक ताना ही था। जिसका जवाब देने के लिए
बीकानेर एक राज्य बना गया। इसका सहज अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन यह सत्य
है। कभी-कभी एक ताना भी एक नए राज्य की स्थापना का कारण बन जाता है।इतिहास
में भी इस घटना का प्रमाण है। एक बार जोधपुर नरेश जोधा सिंह अपने दरबार
में बैठे थे। उन्होंने राजकुमार बीका को अपने काका कांधल से कानाफूसी और
मुस्कराते देखा। इस पर उन्होंने ताना देते हुए कहा, काका भतीजा दोनों ऐसे
मुस्करा रहे हो जैसे कोई नया गढ़ बसाने जा रहे हों। इस पर बीका सिंह ने
कहा, क्या एक राज्य को बसाना मुश्किल है। मुझे तो ऐसा नहीं लगता है। अब तो
बीका एक नया राज बसा के ही दिखाएगा। हालांकि इस शहर के बारे में कई
कहानियां इतिहास में वर्णित है।
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