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07 दिसंबर 2012

एएसआई की बेटी ने ली कसम, पिता के हत्यारे को गोली मारकर लेगी बदला



अमृतसर.  ‘मैं अपने पापा दा बदला लै के रवांगी.. जिवें मेरे पापा नूं गोलियां मारियां उसे तरहां मै वी हत्यारे नूं गोली मारांगी। मेरे सिर ते पिस्टल मारे गए और पापा दे वी लत्तां मारियां।’ 
 
यह पीड़ा थी रोबनजीत कौर की, जिसकी आंखों के सामने उसके पिता को गोलियां मार कर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। पिता रविंदरपाल सिंह के अंतिम संस्कार के मौके पर बेटी  बार-बार ये कह रही थी कि उसके  पापा एक बार उसे अपने सीने के साथ लगाएं और प्यार करें। 
 
एएसआई रविंदरपाल सिंह के शव को जैसे ही अंतिम संस्कार के लिए उठाया गया तो रोबनजीत कौर पिता के शव के साथ लिपट गई और उनको न ले जाने के लिए जिद्द करने लगी। लेकिन किसी तरह से रिश्तेदारों ने उसे संभाला। बावजूद इसके वह बार-बार चिल्लाती रही कि उसके  पापा को उसके पास ही रहने दो। कहीं पर मत लेकर जाओ।
 
भाई को देखते ही सीने से लिपट बयां की पीड़ा
 
आस्ट्रेलिया से सुबह लौटा भाई नवप्रीत सिंह जैसे ही घर में दाखिल हुआ तो रोबनजीत उसके सीने से लिपट कर सारी पीड़ा बयां करने लगी। उसने भाई को बताया कि कैसे उसकी आंखों के सामने ही पापा को गोलियां मारी गईं और जब वह बचाने के लिए बीच आई तो उसे लात-घूसे मारे गए और पिस्टल के साथ सिर पर वार किया गया।  
 
अरदास करने के बाद मुखाग्नि देने के लिए बेटे नवप्रीत सिंह ने मशाल उठाई तो फिर से एक बार बेटी रोबनजीत कौर ने भरी आंखों से कहा कि पापा आखिरी बार सतश्री अकाल। आज के बाद मैं आपको यह शब्द कभी नहीं कह पाऊंगी।
 
लगभग 800 लोगों की आबादी वाला गांव में किसी घर में चूल्हा नहीं जला। सभी की जुबान पर सुबह से लेकर अगर कुछ था तो वह यह कि रविंदरपाल सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होना है। यही नहीं इस घटना को लेकर गांव के लोगों में काफी रोष था।

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