नई दिल्ली. भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को क्लिन चिट देने वाले
चार्टर्ड अकाउंटेंट और आरएसएस के विचारक एस गुरुमूर्ति ने भी अब उनसे दूरी
बनानी शुरू कर दी है। गुरुमूर्ति ने अब कहा है कि उन्होंने गडकरी को कोई
क्लीन चिट नहीं दी है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते हुई बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक में
गुरुमूर्ति ने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बीजेपी अध्यक्ष के व्यापारिक
प्रतिष्ठानों के बारे में विस्तार से बताया था जिसके बाद पार्टी ने कहा था
कि वो अपने अध्यक्ष के साथ खड़ी है। लेकिन अब गुरुमूर्ति का कहना है कि
उन्होंने गडकरी को न ही कोई क्लीन चिट दी है और न ही उन्हें गडकरी के
अध्यक्ष रहने या न रहने से कोई फर्क पड़ता है।
गुरुमूर्ति ने ट्वीट करके पूरे मामले पर अपनी सफाई दी है। गुरुमूर्ति
ने कहा कि वो उस आदमी के क्लीन चिट नहीं दे सकते जिसे वो अच्छे से जानते न
हों। उन्होंने यह तक कहा कि वो गडकरी को बिल्कुल भी नहीं जानते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि गडकरी की समस्या राजनीतिक समस्या है और बीजेपी को तय
करना है कि वो इससे कैसे निपटती है। गुरुमूर्ति ने तो यह तक कह दिया कि
किसी पार्टी के अध्यक्ष को कारोबारी नहीं होना चाहिए।
हालांकि गुरुमूर्ति ने यह भी कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि गडकरी की
कंपनियों में हुए ४५ करोड़ के निवेश की जांच उन्होंने की है और इसमें कोई
गलती नहीं मिली है।
वहीं कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए संदीप दीक्षीत ने कहा,
'मुझे नहीं पता कि भाजपा के अंदर क्या चल रहा है लेकिन नितिन गडकरी को
क्लिनचिट देने से पहले पार्टी को जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था।
राजनीतिक दल होने के नाते भाजपा को कानून का सम्मान करना चाहिए। सीबीआई और
अन्य एजेंसियां गडकरी की फर्जी कंपनियों की जांच कर रही है और भाजपा को
इसमें सहयोग करना चाहिए।'
गुरुमूर्ति के इस बयान से पहले आरएसएस के वरिष्ठ विचारक एमजी वैद्य ने
कहा था कि गडकरी के खिलाफ अभियान नरेंद्र मोदी की शह पर चलाया जा रहा है।
वैद्य के इस बयान से उठा तूफान अभी शांत भी नहीं हुआ था कि गुरुमूर्ति का
यह बयान सामने आ गया है।
वहीं कांग्रेसी महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी गडकरी पर निशाना साधा है।
दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'आडवाणी को भाजपा ने इस
बात पर हटा दिया था कि उन्होंने पाकिस्तान में जिन्ना के मजार पर माथा टेक
दिया था और उन्हें सेक्यूलर कहा था। लेकिन गडकरी को इतनी सब गड़बड़ के बाद
भी हटाया नहीं जा रहा है इसका साफ मतलब है कि अब संघ में भी कार्पोरेट हावी
हो गया है। हमें गुरुमूर्ति की क्लीनचिट से कोई मतलब नहीं है लेकिन कुछ
तथ्यों को गडकरी नहीं नकार सकते हैं। पूर्ति गडकरी की कंपनी है, पूर्ति में
फर्जी कंपनियों ने निवेश किया है।'
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