इंदौर। 12 साल पहले सड़क हादसे में बेटी को खो दिया, लेकिन
मैथ्यू परिवार ने उसकी किडनी से किसी और की जिंदगी बचा ली। साहसिक कदम
उठाया और अपनी मृत बेटी की किडनी अन्य युवक को दान कर दी। मृत व्यक्ति की
किडनी किसी और को लगाकर जीवन देने का तब यह दूसरा मामला था। आज युवक की
जिंदगी बेहतर चल रही है। वह किडनी देने वाली उस लड़की के प्रति आज भी आभारी
है और उसकी तस्वीर को घर के मंदिर में रख कर रोज पूजा करता है।
बात जून 2001 की है। सुखलिया निवासी वर्गीस मैथ्यू की 19 साल की बेटी
सीजी का एक्सीडेंट हो गया था। उसे चोइथराम अस्पताल ले जाया गया था जहां
डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। इधर बेटी मरणासन्न थी और उधर
परिजनों को नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप सालगिया के माध्यम से पता चला कि उसी
हॉस्पिटल में 20 साल का अंतिम वर्मा (परिवर्तित नाम) अपनी दोनों किडनी खराब
होने से डायलिसिस पर है। एक किडनी भी मिल जाए तो उसका जीवन बच सकता है।
वो भी अपने परिवार का इकलौता बेटा था। मैथ्यू परिवार बेटी की किडनी देने
को तुरंत तैयार हो गया।
दोनों का ब्लड ग्रुप भी संयोग से बी पॉजीटिव था। युवती की किडनी अंतिम
को लगाई गई। उसे नया जीवन मिल गया। बारह बरस हो गए। अंतिम स्वस्थ और
प्रसन्न हैं।
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