दोस्तों अभी कोटा प्रेस क्लब के चुनाव हुए ..चुनाव में जो लोग एक दुसरे के
दुशमन बन गए थे साधारण सभा में एक दुसरे के खिलाफ नकारा होने का ढिंढोरा
मचा रहे थे वाही लोग फिर से नेतिक मूल्यों का पतन कर साथ साथ हमजोली बनकर
नज़र आने लगे ..चुनाव हुए थोड़ी कशीदगी हुई लेकिन फिर भाईचारा और सद्भावना
का फार्मूला अपनाया नतीजे बहुत ज्यादा उलट फेर तो नहीं लेकिन फिर भी दुसरे
पेनल जो रजत खन्ना का था उसके कई लोग शानदार वोटों से जीत कर आये एक
निर्वाचित भाईजान तो तय नहीं कर पा रहे थे के में इधर रहूँ या उधर रहे खेर
चुनाव हुए खाने हुए ..प्रचार हुआ ..शराब चली और फिर नतीजे सामने थे ....इन
चुनाव के बाद पत्रकारिता सदस्यता और नेतिकता पर सवाल उठने लगे ...कहा गया
के प्रेस क्लब प्रेस क्लब नहीं रहा है अब तो हालात बदलने के लियें नेतिक
लोगों का एक समूह एकत्रित किया जाए जो मजबूत हो पत्रकारिता और उसके मूल्यों
को समझता हो ..वक्त बा वक्त पीड़ित पत्रकार की मदद के लियें सभी बहाने बाज़ी
छोड़ कर आगे आये ..पत्रकारों के लियें कार्यशालाए स्थापित करे ....जिन
पत्रकारों का शोषण हो रहा है मालिकों से उन्हें आज़ाद कराए उन्हें इन्साफ
दिलवाए जो पत्रकार रात को शराब की मजलिसें सजाते है या फिर किसी न किसी
नेता की प्रेस विज्ञप्तियां बनाते हैं उनसे बचा जाए ...कहा गया के पेड़
न्यूज़ देने वाले पत्रकारों का बहिष्कार किया जाये ..दोस्तों मेने सोचा के
अगर किसी भी पत्रकार क्लब के गठन के साथ प्रमुख शर्तों में यह शर्त रखी जाए
के जो भी पत्रकार शराब पिएगा .जो भी पत्रकार प्रेस कोंफ्रेंस में गिफ्ट
लेगा ..पेड़ न्यूज़ चलाएगा ..या फिर किसी भी खबर को अपनी दोस्ती और दुश्मनी
के तराजू पर तोल कर उस खबर की हत्या नहीं करेगा ..खबर को विज्ञापन की वजह
से नहीं दबाएगा ....मरने की खबर के लियें भी विज्ञापन ...डॉक्टरेट की उपाधि
की खबर के लियें भी विज्ञापन ..किसी नियुक्ति की खबर के लीयें भी विज्ञापन
का इन्तिज़ार करेगा तो वोह सदस्य नहीं हो सकेगा तो जरा सोचो क्या किसी भी
प्रेस क्लब का एक भी सदस्य बन सकेगा ..कुछ अपवाद ज़रूर हैं जिनके कारन यह
पत्रकारिता चल रही है वरना तो अभी बहुत कुछ कहना बाक़ी है इसलियें हम पहले
खुद में सुधार करे फिर निकल पढ़े अपने साथियों में समझायश कर उनेह सूधारने
के लियें बुराई भी मिलेगी गालियाँ भी मिलेंगे लेकिन जरा कोशिश तो करो
.....शराब नेतिकता का पतन करती है ...खबरों को रोज़ प्रभावित करती है तो
फिर पहले इस बुराई को छोड़ने के लियें पत्रकार साथी संकल्प नहीं ले सकते
अगर ऐसा किया जाए तभी लोगों को नेतिकता की बात करने का हक मिलना चाहिए
वरना देश के प्रेस क्लबों में रोज़ रात की महफिलों में क्या होता है सब
जानते है ......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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