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05 अक्तूबर 2012

लाखों सालों से अस्तित्व में हैं मत्स्य कन्याएं, जानें उससे जुड़ी सच्चाई!



पटना। भगीरथ जब गंगा को जमीन पर ला रहे थे तो उनके आगे-आगे झूमती-इठलाती कन्याएं गंगा मैया के स्वागत में खुशियां मना रही थीं। ये मत्स्य कन्याएं थीं। ऐसी पौराणिक मान्यता है।
ऐसा अनुमान है कि 250 लाख साल पहले हिमालय से नदियां निकलीं। इस आधार पर नदी में मिलने वाली मत्स्य कन्याओं की उम्र इतनी ही मानी जाती है। इन मत्स्य कन्याओं को लेकर भारत, चीन और अफ्रीका में अलग-अलग दंत कथाएं प्रचलित हैं। महाभारत में इनका जिक्र आता है।
अब इन्हें डॉल्फिन के नाम से जाना जाता है। सोंस या पनडुब्बा इनके प्रचलित नाम हैं। जिस तरह धरती पर कन्याओं को बचाने के लिए मुहिम चल रही है, उसी तरह इन मत्स्य कन्याओं को बचाने के अभियान को आज एक मंजिल मिली। आज यानी 5 अक्टूबर को दुनिया में पहली बार बिहार में डॉल्फिन डे मनाया गया। 2 से 9 अक्टूबर तक वाइल्ड लाइफ विक मनाया जाता है। 2009 में प्रधानमंत्री ने डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जंतु घोषित किया था।

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