आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

18 अक्तूबर 2012

सैंकड़ों साल पुराने इस 'मन्नत' में एक बार जो मांग लो, वो हो जाती है पूरी



गिरिडीह.समय समय पर कई दैविक चमत्कारों के कारण शहर के बरगंडा स्थित काली मंडा के प्रति भक्तों की असीम आस्था है। कई बार यहां पर मां की कृपा देखने को मिली है यही वजह है कि दूर दूर से यहां भक्त मां के दर्शन करने के साथ ही मन्नत मांगने को आते हैं। शहर के बरगंडा दरबान चौक के समीप लगभग 126 वर्ष पुराने कालीमंडा की अपनी एक अलग पहचान है।
भक्तों की कई मन्नतें पूरी होने से इस मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था है। इसी आस्था के कारण लोगों ने सवा सौ वर्ष पूर्व यहां दुर्गापूजा की शुरूआत की थी। जबकि वर्तमान में संचालित समिति के अध्यक्ष अजय बगेडिय़ा, सचिव प्रदीप अग्रवाल, उपाध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा, उपसचिव दुर्गा राम, कोषाध्यक्ष भरत भूषण प्रसाद, वार्ड पार्षद नवीन सिन्हा, सूरज जायसवाल, रामनिरंजन अग्रवाल आदि भक्तों द्वारा सवा सौ वर्षों से चली आ रही परंपरागत ढंग से मां शक्ति की उपासना की जा रही है। यहां शारदीय नवरात्र और अखाड़ा पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। कलश स्थापन के बाद से प्रतिदिन सैंकडों की संख्या में भक्त माता के चरणों में शीश झुकाने के लिए आते हैं। वर्षों पूर्व खपड़ानुमा मंडप आज भव्य मंदिर का स्वरूप धारण कर चुका है। यहां पर दूर-दराज से मां के भक्तों का आना शुरू हो गया है।
होश संभालने के बाद वर्षों से देखते व सुनते आ रहे हैं कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। भक्तों के दु:ख-दर्द को देख कर मां भाव विह्वल होकर अपने भक्तों के कष्टों को हर लेती है। दूर रहने व परेशानियों में फंसे होने पर मां के स्मरण से ही मुक्ति मिल जाती है।
इस तरह हुई पूजा की शुरुआत
यहां पर घटवार जाति के लोगों ने शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा की शुरूआत की थी। बाद में वर्ष 1945 से गोलेंद्र भटटाचार्य उर्फ हंदा बाबू ने शारदीय नवरात्र में अपना योगदान देना शुरू किया था। इसी क्रम में 10 वर्षों से नि:संतान का दुख झेल रहे पन्नालाल गोयनका माता के चरणों में गिरकर संतान सुख की मन्नत मांगी। कुछ ही महीने में उन्हें एक के बाद एक तीन संतानों की प्राप्ति हुई। इससे लोगों की आस्था इस मंदिर पर और अटूट हुई। बाद में गोयनका जी के साथ गौरी शंकर बजोरिया, गोवद्र्धन दास बगेडिय़ा और विश्वनाथ अग्रवाल ने योगदान देना शुरू किया।
साथ ही समय समय पर मंदिर के सौंदर्यीकरण का भी कार्य किया जाता रहा। जिससे वर्तमान में मां दुर्गा के अलावा अन्य कई देवी देवताओं के भव्य मंदिर बनाए गए हैं।
बंगाल आते हैं पुजारी
मां दुर्गा की प्रतिमा मंदिर परिसर में ही कोलकाता से आए मूर्तिकार द्वारा बनाई जाती है। वहीं लगभग 30 वर्षों से बंगाल के नवदीप से किसटो भटाचार्य लगातार शारदीय नवरात्र में पूजा कराने के लिए आते हैं। मंदिर को काफी आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है। विसर्जन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें लगभग 10 हजार भक्त भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। - प्रदीप अग्रवाल, सचिव.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...