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18 अक्तूबर 2012

राजस्थान विधानसभा को चुनौती, इंस्पेक्टर रत्ना निलंबित



 

जयपुर. राजस्थान पुलिस अपनी ही एक महिला इंस्पेक्टर रत्ना गुप्ता को नहीं खोज पाई। इस महिला इंस्पेक्टर को गुरुवार को गिरफ्तार कर विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश किया जाना था। समिति ने बुधवार को डीजीपी को महिला इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उधर, डीजीपी हरीशचंद्र मीना ने विभागीय कार्रवाई प्रस्तावित होने को आधार बनाते हुए रत्ना को निलंबित कर दिया और इसकी जानकारी विशेषाधिकार समिति को दे दी। रत्ना अभी जयपुर में राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए)  में तैनात हैं।
विशेषाधिकार समिति ने दोपहर की बैठक में पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी के खुद उपस्थित नहीं होने और केवल एसीपी को भेजने पर सवाल भी उठाया। समिति का मानना है कि रत्ना को पुलिस जानबूझकर गिरफ्तार नहीं कर रही है। समिति सुबह 11 बजे तक रत्ना का इंतजार करती रही।
पहला मामला:राजस्थान में यह पहला मामला है, जब विशेषाधिकार समिति ने नोटिस की अनदेखी करने और बुलावे पर पेश नहीं होने को गंभीर मानते हुए किसी पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। 
कब, क्या हुआ?
26 जून, 12>गुप्ता ने विधानसभा में पेश होने से इनकार किया तो विशेषाधिकार समिति ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी किया।
4 जुलाई, 12>गुप्ता परिवार के अनुसार रत्ना की बहन बतौर अधिवक्ता विधानसभा गईं और दस्तावेज मांगे। विशेषाधिकार समिति से मिलने की इजाजत मांगी तो इनकार कर दिया गया।
 
27 जुलाई, 12 > गुप्ता की ओर से स्पीकर को पत्र लिखा और न्याय की अर्जी लगाई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
28 सितंबर, 12 > गुप्ता ने विधानसभा के रवैए के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव से 5 अक्टूबर, 12 तक जवाब मांगा, लेकिन विधानसभा ने नोटिस का जवाब नहीं देना तय किया।
79 दिन ड्यूटी से गायब
विशेषाधिकार समिति के सभापति सुरेंद्र जाड़ावत के अनुसार पुलिस ने रत्ना गुप्ता को पहले 17 सीसीए का नोटिस दिया है। पुलिस के अनुसार वे इससे पहले भी 79 दिन गैरहाजिर रह चुकी हैं। रत्ना अब 15 अक्टूबर से कार्यालय से गैर हाजिर हैं।
मेडिकल बोर्ड से होगी जांच
आरपीए डायरेक्टर को बुधवार शाम को डाक से गुप्ता का एक पत्र मिला। इसमें कहा गया है कि वे (रत्ना) बीमार हैं और 20 अक्टूबर तक छुट्टी चाहिए। आरपीए डायरेक्टर ने उन्हें 21 अक्टूबर को मेडिकल के लिए एसएमएस में मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने को कहा है। इसके लिए एसएमएस अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठन के लिए भी कह दिया गया है।
पुलिस सतर्क नहीं रही: जाड़ावत 
पुलिस को सतर्क रहना चाहिए था। समिति ने गुप्ता को गिरफ्तारी से बचने का मौका दिया और चूक की है। आज आखिरी मौका था, जो रत्ना गुप्ता को दे दिया गया। वह अगर आज समिति के सामने पेश होतीं तो आज यह मामला समाप्त भी हो सकता था। 
-सुरेंद्र जाड़ावत, सभापति, विशेषाधिकार समिति 
2 साल, 4 नोटिस, पेश नहीं हुई रत्ना
19 जुलाई, 10 का मामलाः महिला और बाल कल्याण समिति ने गांधीनगर स्थित महिला थाने का दौरा किया। समिति अध्यक्ष सूर्यकांता व्यास ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की कि थाना प्रभारी रत्ना गुप्ता ने बदसलूकी की। इस पर गुप्ता को बुलाया जाता रहा, लेकिन वे नहीं गईं। गुप्ता की बहन और उनके पिता ने इस बीच कई आरटीआई लगाईं और विधानसभा से टकराव शुरू कर दिया।
टेबल पर पैर रखकर बैठी थी इंस्पेक्टर: व्यास
व्यास ने कहा कि मैं समिति के सदस्य और स्टाफ के साथ थाने पहुंची तो गुप्ता टेबल पर पैर रख कर बैठी थी। कहने के बाद भी उसने रिकॉर्ड नहीं दिखाया। वह तू-तड़ाक बोल रही थीं। हमने विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट दी और मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा।  उन्हें कई बार नोटिस देकर बुलाया, लेकिन वह नहीं आईं। हम विधानसभा के रजिस्टर में बाकायदा एंट्री करके ही थाने गए थे। इसी के बाद हमें जाने के लिए वाहन दिया गया था।
ये कैसा विशेषाधिकार है : उषा
विशेषाधिकार कोई सड़क की चीज नहीं कि हर किसी पर लगा दें। कल किसी का मकान अच्छा दिख गया तो ये उसमें घुस जाएंगे और कह देंगे हमारा विशेषाधिकार है। वे हाई कोर्ट के नोटिस को नहीं मानते तो हम विधानसभा के नोटिस को क्यों मानें? गिरफ्तारी वारंट गैरकानूनी है। निलंबन दुर्भावनापूर्ण है। हम हाई कोर्ट जाएंगे।
-उषा गुप्ता, रत्ना की बहन व हाई कोर्ट वकील
तो आम आदमी का क्या होता होगा?
रत्ना के वकीलों ने कहा है कि व्यास को थाने का रिकॉर्ड देखने का अधिकार नहीं था। समिति का कहना है कि अगर समिति ही रिकॉर्ड नहीं देख सकती तो आम आदमी के साथ थाने में क्या होता होगा?
अब पुलिस नहीं कर सकती गिरफ्तार
समिति ने रत्ना को गिरफ्तार करने के लिए वारंट जारी कर डीजीपी को गुरुवार सुबह ११ बजे तक का समय दिया था। इस अवधि में गिरफ्तारी नहीं हो पाई। अब पुलिस रत्ना को गिरफ्तार नहीं कर सकती। इसके लिए समिति को दुबारा वारंट जारी करना होगा।
आगे क्या : समिति क्या करेगी
>    विशेषाधिकार समिति 19 अक्टूबर को फिर बैठक करेगी। इसमें गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई तय की जा सकती है। इसमें वह रत्ना को जेल भेजने, सदन में बुलाने या माफ करने की सिफारिश कर सकती है। यह रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को दी जाएगी। अध्यक्ष तय करेंगे कि इसे सदन में रखा जाए।
>    अभी सत्र समाप्त नहीं हुआ है। सत्र बुलाया जा सकता है, लेकिन भाजपा राज्यपाल से सदन बुलाने की मांग कर चुकी है, इसलिए सत्ता पक्ष ऐसा नहीं करेगा।
>    अगर सत्रावसान हो जाता है तो रिपोर्ट बजट सत्र में टेबल होगी, लेकिन इस पर चर्चा तभी होगी जब कोई सदस्य प्रस्ताव करेगा।
>    प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो यह अगले सत्र यानी मौजूदा विधानसभा के आखिरी सत्र तक टल जाएगी। उस सत्र में भी सिर्फ पहले सप्ताह तक रिपोर्ट पर कार्रवाई हो सकती है। उसमें भी कुछ तय नहीं हुआ तो विधानसभा सचिवालय कार्रवाई तय कर सकता है।
तब भी कुछ नहीं हुआ तो 13वीं विधानसभा समाप्त हो जाएगी और मामला भी समाप्त हो जाएगा।
...और इंस्पेक्टर रत्ना
रत्ना के पिता जी.सी. गुप्ता का कहना है कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। पहले यह फैसला होना है कि मामला विशेषाधिकार का बनता है अथवा नहीं। समिति के समक्ष पेश होना हाई कोर्ट की अवमानना होगी।

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