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12 अक्तूबर 2012

आबिद हुसेन अब्बासी और नायब सदर कानूनी सलाहकार एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने वक्फ कमेटी से इस्तीफा दे दिया

दोस्तों जिला वक्फ कमेटी कोटा के सदर हाजी अज़ीज़ अंसारी द्वारा किये जा रहे घोटालों ..वक्फ सम्पत्तियों के कब्जेदारों से सांठ गांठ ..बेवाओं की पेंशन बंद करने और वक्फ की आमदनी को बेवजह अपने एशो आराम पर खर्च करने के मामले में जब राजस्थान वक्फ बोर्ड के चेयरमेन लियाकत अली ने कोई सुनवाई नहीं की और अपराधिक रिकोर्ड वालों को विधि विरुद्ध तरीके से कोटा सहित राजस्थान की दूसरी वक्फ कमेटियों में नियुक्त करने का प्रयास किया तो कोटा जिला वक्फ कमेटी के सचिव एडवोकेट आबिद हुसेन अब्बासी और नायब सदर
कानूनी सलाहकार एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने वक्फ कमेटी से इस्तीफा दे दिया ...वक्फ कमेटी कोटा का गठन पहले लियाकत अली ने जब पूर्व सदर को बना कर किया तो लियाक़त अली पर बारह लाख रूपये लेकर कोटा के सदर को नियुक्त करने के आरोप लगे ..उसके बाद वोह जब एक फोजदारी मुकदमे में जेल गए तो चेयरमेन लियाक़त अली ने फिर मोटा आसामी तलाशा और सदर के हट जाने पर उपाध्यक्षों में से ही किसी को सदर बनाने की परम्परा तोड़ कर सीमा लांघते हुए अज़ीज़ अंसारी व्यापारी को सदर बना दिया .....उक्त सदर ने आते ही वक्फ की कंदम पढ़ी गाडी पर मरम्मत खर्च किया और एक पन्द्राह हजार रूपये के ड्राइवर और डीज़ल खर्च के साथ फ़िज़ूल खर्ची में जुट गए ..विधवा और पीड़ित महिलाओं की पेंशन जो पूर्व में जारी थी उसे रोक दी गयी ..अज़ीज़ अंसारी कब्जेदारों से मिल गए और जन्ग्लिशाह बाबा भंवर शाह तकिया वक्फ सम्पत्ति की प्राइम लोकेशन पर स्थित वक्फ के प्लाट जिन की कीमत अरबों रूपये है उनके कब्जेदारों से मिल गए और उनके खिलाफ मुकदमों में जान बुझ कर पेरवी में लापरवाही बरतने लगे ...नतीजन अरबों रूपये की वक्फ सम्पत्ति कब्जेदारों से नहीं छुड़ाई जा सकी ..राजस्थान सरकार ने हाल ही में शहर काजी कोटा के प्रयासों से वक्फ सम्पत्ति पर हुए विकास कार्यों के वक्त वायदा किया था की रंगबाड़ी कब्रिस्तान ..स्टेशन के कबरिस्तान सहित कई वक्फ सम्पत्तियां राजस्व रिकोर्ड में वक्फ के नाम दर्ज होंगी लेकिन कोटा कमेटी के सदर को बार बार कहने पर भी उन्होंने राजनितिक फायदे के लियें अब तक इसके प्रयास नहीं किये और न ही सम्पत्ति दर्ज करवाय है इतना ही नहीं एक सम्पाती जो मस्जिद है सरकारी रिकोर्ड में मन्दिर दर्ज है उसका इन्द्राज दुरुस्ती भी नहीं करवा सके है ..पिछले दिनों पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम की बैठक में जिला कलेक्टर को हमने लिखित शिकायत दी तो उन्होंने कहा के अब तक तो किसी ने नहीं कहा ..वक्फ की पत्रावलियों को छुपा रखना उनकी आदत थी .क्रषि भूमि जो करोड़ो की है वोह कोडियों के दाम नवीनीकृत कर दी गयी ..खुद वक्फ की गाड़ी विधि विरुद्ध तरीके से लाल बत्ती लगाकर घुमने लगे और वक्फ के ढाई लाख रूपये साल का खर्च खुद के एशो आराम पर करने लगे ....इस मामले की शिकायत कोटा प्रवास के दोरान लियाकत अली चेयरमेन राजस्थान वक्फ बोर्ड से की तो उन्होंने कहा के ऐसा ही चलता है अडजस्ट करो ..वोह कोटा में जिसके यहाँ भी खाना खा कर गए उसको वक्फ कमेटी में नियुक्त कर दिया यह उनका इतिहास है ...लियाकत अली को जब स्टेशन स्थित अरबो रूपये की वक्फ भूमि माचिस फेक्ट्री कब्रिस्तान के बारे में कहा गया तो वोह चक्कर देते रहे पता चला के इस मामले में तो वोह पहले ही जयपुर में माचिस फेक्ट्री कब्रिस्तान को वक्फ प्रोपर्टी से निकलने वालों का साथ दे चुके है ..लियाकत अली का भीलवाड़ा मस्जिद बेचने का मामला सभी जानते है ..भरतपुर गोपालगढ़ मामले में लियाकत अली अगर गम्भीर होते तो हादसा नहीं होता ..ऐसे ही नाज़ुक मामले कोटा वक्फ कमेटी की प्रोपर्टी को लेकर भी चल रहे है ...राजस्थान वक्फ एक्ट में प्रावधान है के किसी भी अपराधिक रिकोर्ड वाले व्यक्ति को वक्फ कमेटियों में नियुक्त नहीं किया जाएगा और इस मामले में शपथ पत्र भी लिया जाएगा ..लेकिन कोटा में सासद इजय्राज सिंह के घर पर पत्थर फेंकने का अपराधिक रिकोर्ड रखने वाले ....और गम्भीर अपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त लोगों को पदाधिकारी बना रखा है ऐसा ही राजस्थान की कमेटियों का हाल है ....लियाकत अली और कोटा वक्फ कमेटी के अज़ीज़ अंसारी को अनेकों बार समझाने का प्रयास किया लेकिन यह लोग वक्फ की सम्पत्ति को नुकसान पहुँचने और बेवाओं का हक खाने में लगे रहे ऐसी स्थित में जिला वक्फ कमेटी के लुटेरों और कब्जेदारों के संरक्षकों के साथ काम कर पाना असम्भव सा हो गया था और इसी लियें सचिव पद से आबिद हुसेन अब्बासी और नायब सदर कानूनी सलाहकार पद से अख्तर खान अकेला को इस्तीफा देना पढ़ा ..अज़ीज़ अंसारी कहते है के चोबीस की वक्फ बोर्ड बैठक में इसका फेसला हो गया था लेकिन शायद वोह भूल रहे है के चोबीस के बाद कोटा में ओ कार्यक्रम हुए जिसका संचालन सचीव आबिद अब्बासी ने ही किया है और नायब सदर अख्तर खान अकेला को नायब सदर की हेसियत से मंच पर बताया गया है और भाषण दिलवाया गया है अगर चोबीस का कोई फेसला होता तो सात अक्तूबर स्वर्गीय डोक्टर अबरार मेमोरियल भवन नामकरण कार्यक्रम में इन्हें शामिल क्यूँ किया जाता ..इसलियें हाजी अज़ीज़ अपने घोटालों और पापों को दबाने का प्रयास कर रहे है उनमे हिम्मत है तो वोह आरोपों का जवाब दे के उनकी कमेटी में अपराधी नहीं ..उन्होंने कब्जेदारों से कब्जे खाली कराने वाली पत्रावलियों में जानबूझ कर ढिलाई नहीं बरती ..वक्फ के रिकोर्ड में कब्रिस्तान दर्ज करा लियें खुद के एशो आराम के लियें वक्फ के खर्चे से कार और ड्राइवर ..दिजला का खर्चा नहीं उठाया जयपुर खर्च के नाम पर मनमाना खर्च नहीं किया इन बातों का कोई जवाब नहीं है .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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