पाटदी (गुजरात)। सौराष्ट्र जिले के पादडी विरमगांव रोड पर स्थित
मंदिर में हनुमान की प्रतिमा के खुद-ब-खुद स्थान परिवर्तन से आश्चर्य की
लहर दौड़ गई है। मंदिर में पिछले 6 महीनों से मूर्ति धीरे-धीरे सरक रही थी,
जो कि अब पूरी तरह से दक्षिण दिशा की ओर घूम गई। इसलिए मंदिर का प्रवेश
द्वार बदलने की जरूरत पड़ गई।
इस मंदिर में स्थित हनुमान की प्रतिमा प्राचीन है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि हजारों सालों पहले एक किसान को हल चलाते समय यह मूर्ति मिली थी। किसान ने इसी जगह मंदिर का निर्माण करवा दिया था। चूंकि यह मूर्ति हल चलाते समय मिली थी, इसलिए मंदिर का नाम रखा गया ‘हलमतिया हनुमान मंदिर’।
प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को यहां हजारों की तादात में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में वर्षो से दर्शन के लिए आ रहे अरजणभाई ठाकोर और चीनूभाई पट्टणी ने बताया कि पिछले 6 महीनों से यह मूर्ति धीरे-धीरे सरक रही थी। मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर था, जो कि अब दक्षिण दिशा की ओर घूम गया।
इसके चलते मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया और मंदिर का मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा में यानी की मूर्ति के मुख के सामने बनाया गया है। जिले के नायब भू-शास्त्री वालाभाई ने बताया कि भूस्तरीय बदलाव से इतना बड़ा परिवर्तन नहीं हो सकता। वे कहते हैं कि जमीन की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
इस मंदिर में स्थित हनुमान की प्रतिमा प्राचीन है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि हजारों सालों पहले एक किसान को हल चलाते समय यह मूर्ति मिली थी। किसान ने इसी जगह मंदिर का निर्माण करवा दिया था। चूंकि यह मूर्ति हल चलाते समय मिली थी, इसलिए मंदिर का नाम रखा गया ‘हलमतिया हनुमान मंदिर’।
प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को यहां हजारों की तादात में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में वर्षो से दर्शन के लिए आ रहे अरजणभाई ठाकोर और चीनूभाई पट्टणी ने बताया कि पिछले 6 महीनों से यह मूर्ति धीरे-धीरे सरक रही थी। मूर्ति का मुख पश्चिम दिशा की ओर था, जो कि अब दक्षिण दिशा की ओर घूम गया।
इसके चलते मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया और मंदिर का मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा में यानी की मूर्ति के मुख के सामने बनाया गया है। जिले के नायब भू-शास्त्री वालाभाई ने बताया कि भूस्तरीय बदलाव से इतना बड़ा परिवर्तन नहीं हो सकता। वे कहते हैं कि जमीन की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
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