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29 अक्तूबर 2012

प्रशासन ने नहीं सुनी, भीख मांगकर चढ़वा रहा बेटे को खून




कराहल/श्योपुर.  कराहल के पहेला गांव में एक आदिवासी पिछले ढाई साल से थैलेसीमिया से पीडि़त अपने बेटे को भीख मांगकर खून चढ़वा रहा है। बेटे की जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे पिता ने खून चढ़वाने के लिए 17 बार पैसे जुटाए हैं।
ऐसा नहीं है, बेबस पिता ने मदद के लिए प्रशासन से गुहार नहीं लगाई। एक साल पहले जनसुनवाई में बेटे के इलाज की गुहार लेकर कलेक्टर के पास भी गया, लेकिन प्रशासन ने कोई मदद नहीं की।
पहेला निवासी शिवकुमार (4) पुत्र रघुवीर आदिवासी की ढाई साल पहले एकाएक तबीयत खराब हो गई। दो महीने तक श्योपुर जिला अस्पताल में शिवकुमार का इलजा किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
बाद में रघुवीर बेटे को कोटा ले गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बेटे को गंभीर थैलेसीमिया बताते हुए तत्काल खून चढ़ाने की बात कही। उस दिन रघुवीर ने अपने खर्चे पर बेटे को खून चढ़वा दिया। लेकिन महंगी जांचों, महीनों चले लंबे इलाज में उसकी पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई।
रघुवीर ने बताया कि उसके पास तो जमीन भी नहीं, जिसे बेचकर वह बेटे का इलाज करवा सके। ढाई महीने बाद बेटे को फिर खून की जरूरत पड़ी तो उसने गांव में कुछ लोगों से पैसे मांगे और फिर कोटा जाकर बेटे को खून चढ़वाया। हर दो-ढाई महीने में यही हालात बनने लगे। पैसे न होने पर वह आस-पास के गांवों में जाकर लोगों से बीमार बेटे के इलाज के लिए पैसे मांगता और फिर बेटे को राजस्थान के बारा, कोटा, सवाई माधौपुर या जयपुर ले जाकर खून चढ़वाता। अब तक 17 बार शिवकुमार को खून चढ़ चुका है।

क्या है थैलेसीमिया...
थैलेसेमिया की बीमारी से खून के आरबीसी सेल्स टूटते हैं, इससे शरीर में तेजी से खून की कमी हो जाती है। थैलेसीमिया तीन प्रकार का होता है। अल्फा थैलेसीमिया, बीटा (मेजर) थैलेसीमिया और सेमी थैलेसीमिया। इनमें मेजर थैलेसीमिया सबसे खतरनाक होता है। इसमें 15 से 30 दिन के भीतर मरीज को खून चढ़ाना जरूरी होता है।
जल्द चढ़ाना होगा ब्लड
शिवकुमार की जांच रिपोर्ट मैंने देखी है। उसमें बहुत खून की कमी है, अमूमन इतने खून में बच्चों का जीवित रहना मुश्किल होता है। अगर शिवकुमार को जल्द ही खून नहीं चढ़ाया गया तो कुछ भी अनर्थ हो सकता है। ञ्जञ्ज
डॉ. एके सिंह, प्रभारी बीएमओ, कराहल

प्रशासन से नहीं मिली मदद
मेरे पास तो जमीन भी नहीं जिसे बेचकर बेटे का इलाज करवा सकूं। प्रशासन से कोई मदद मिल नहीं रही है। इसलिए लोगों से पैसे मांगकर उसका इलाज करवा रहा हूं। लोग मेरी मजबूरी देख मुझे पैसे भी दे देते हैं। मुझे इलाज के लिए जितनी राशि की जरूरत होती है, उतने ही मांगता हूं।
रघुवीर आदिवासी, बीमार शिवकुमार का पिता
प्रशासन पूरा खर्च उठाएगा
मेरी जानकारी में ऐसा कोई मामला नहीं आया है। अगर ऐसा है तो पीडि़त आवेदन दे हम जल्द ही सहरिया विकास अभिकरण से उसका इलाज करवाएंगे।  मरीज को जहां अच्छा इलाज मिलेगा उसे उस अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा। इसका पूरा खर्च प्रशासन उठाएगा।
ज्ञानेश्वर बी पाटील,कलेक्टर, श्योपुर

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