कुरुक्षेत्र
के मैदान में कौरव और पांडव में लड़ाई शुरू होनी थी। पांडवों में
शक्तिशाली धनुर्धर अर्जुन ने जैसे ही देखा कि उनको अपने ही परिजनों को
युद्ध के मैदान में मारना है तो वह भावनात्मक रूप से विचलित हो उठे। अगर उस
पल कृष्ण ने उनको न संभाला होता तो शायद महाभारत की कहानी ही कुछ और होती।
अर्जुन
के सारथी बने कृष्ण ने उनको कर्म का उपदेश दिया जिसे दुनिया में
भगवद्गगीता के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ही अर्जुन महायुद्ध के लिए
मानिसक रूप से तैयार हो पाए थे।
आपको
उस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया
था। अगर इस जगह यह घटना न घटी होती तो शायद महाभारत में पांडवों की जीत
होनी मुश्किल थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)