सरल शब्दों में यदि जाना जाए तो डायबीटिज के रोगियों में शरीर की मेटाबोलिज्म में आयी गड़बड़ी किसी न किसी रूप में इन कोशिकाओं को इनके भोजन ग्लूकोज से वंचित कर देती हैं। फलस्वरूप ये कोशिकाएं भूखी रह जाती हैं और ग्लूकोज का स्तर खून में बढ़ जाता है।
एक नई रिपोर्ट अदरख की उस क्षमता को उजागर कर रही है, जिसमें यह मांसपेशियों की कोशिकाओं पर कार्य कर इनके ग्लूकोज लेने को नियंत्रित करता है। आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर बेसिल रौफोगेलिस की मानें तो अदरख का एक्सट्रेक्ट कोशिकाओं को इंसुलिन से स्वतंत्र उनके शर्करा लेने को नियंत्रित करता है।
उनका मानना है कि लम्बे समय से डायबीटिज से पीड़ित रोगियों के ब्लडशुगर को नियंत्रित करने में यह एक्सट्रेक्ट इंसुलिन के विकल्प के रूप में काम करता है। यह रिपोर्ट जर्नल प्लानटा मेडीका में प्रकाशित हो चुका है। अब आप जानना चाहेंगे कि भला वो कौन सा तत्व है जो इस काम को अंजाम देता है। इसका नाम ...."जिन्जेरोल "..।
अदरख के कंदों में पाया जानेवाला यह तत्व एक फेनोलिक कंपोनेंट है, जो कोशिकाओं की ग्लूकोज ग्रहण करने के क्षमता को बढ़ा देता है। यदि आप डायबीटीज से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेद में वर्णित शुंठी (सौंठ ) का चूर्ण भी आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है और यदि आप चाय के शौकीन हों तो स्टीविया (नेचुरल स्वेटनर) एवं अदरख की चाय पीने से भी रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रहेगी।
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