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15 सितंबर 2012

दोस्तों देश के जाने माने चिन्तक आर एस एस प्रमुख रहे के सी सुदर्शन साहब का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन होने जा रहा है

दोस्तों देश के जाने माने चिन्तक आर एस एस प्रमुख रहे के सी सुदर्शन साहब का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन होने जा रहा है लोग उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली दे रहे है ...यह स्वीकृत तथ्य है के सुदर्शन एक बहतरीन चिंतक विचारक और राष्ट्रीय व्यक्ति थे उन्होंने निर्भीकता से कभी इंदिरा गाँधी के तो कभी भाजपा के शीर्ष नेताओं के कान उमेठे है और उन्हें रास्ते पर लाये है ..सुदर्शन एक पढ़े लिखे काबिल संवेदनशील व्
यक्ति थे उन्होंने आखिरी वक्त आखिरी लम्हों में देश को एक संदेश दिया है जो सम्भवत उन्होंने अपने अनुभवों के आदर पर तय्यार किया था ..सभी जानते है के आजकल कुछ लोग हिन्दुओं को साम्प्रदायिक कट्टरपंथी और ना जाने क्या क्या बताकर राजनीति कर रहे है इसी तरह से कुछ लोग मुसलमानों को गद्दार आतंकवादी बताकर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेक रहे है .....सुदर्शन ने अपने जीवन काल में ना जाने कितने प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा है ..भारत पाक बंगलादेश की लडाइयां देखी हाँ ..पंजाब में खालिस्तान की लड़ाई तो माओवादियों नक्सलियों की लड़ाई देखि है सुदर्शन जो आर एस एस के प्रमुख थे सुदर्शन जो भाजपा के प्रेरक थे उन्होंने महाराष्ट्र ...गुजरात ..उत्तरप्रदेश साईट सभी जगह के हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगे देखे है और उनके चिंतन से उन्होएँ यह पाया के हिन्दुओं को मुसलमानों से लडाने और मुसलमानों को हिन्दुओं से लडाने से देश का भला कतई सम्भव नहीं है वोह समझ गए थे के हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का नारा कामयाब होगा तब देश का भला होगा वोह समझ गए थे हिन्दू ईद मनाएंगे मुसलमान दिवाली मनायेगे तब भारत अखंड भारत भी होगा और मेरा अभारत महान का नारा भी बुलंद होगा और इसीलियें के एस सुदर्शन ने महानता दिखाई प्रायश्चित कर निर्भीकता से पुरे देश को प्रतीकात्मक संदेश दिया कभी उन्होंने अजमेर में ख्वाजा के दरबार में हाजरी लगाकर उनके मजार की चोखट चूमने की मंशा ज़ाहिर की तो कभी भोपाल की मस्जिद में जाकर ईद की नमाज़ अदा करने का प्रयास किया तो दोस्तों एक महान व्यक्ति का यह आखरी संदेश के हिन्दू मुस्लिम विवादों में कुछ नहीं रखा है एक दुसरे को गाली बकना नफरत फेलाना सब बेकार सी बातें है भाईचारा बढाओ सद्भावना बढाओ नफरत खत्म करो एक दुसरे के त्योहारों में शामिल रहो प्यार दो प्यार लो देश के बारे में सोचो देश को आगे ब्धाओं यूँ ही खुद एक दुसरे समाज एक दुसरे धर्म के खिलाफ नफरत फेलाने में अपनी ज़िन्द्दगी न गवाओ लोगों को भा गया है ......इन हालातों में के सी स्दुर्शन के आखरी लम्हों का यह संदेश भावनात्मक तो था लेकिन देश के लियें आवश्यक था आज वोह हमारे बीच नहीं रहे है हम उन्हें श्रद्धांजली दे रहे है उन्हें याद कर रहे है लेकिन भाईचारे सद्भावना और हिन्दू मुस्लिम के बिच नफरत फेलाने के खेल को विराम देने का जो संदेश उन्होंने दिया है use देश की सियासी पार्टियां देश के समाजसेवी संगठन और खुद आर एस एस मुस्लिम संगठन maan ले तो निश्चित ही देश का उत्थान होगा विकास होगा और सियासी पार्टियाँ जो धर्म के नाम पर दंगे फसादात डॉ खोफ का माहोल बनाकर चुनाव जीत रही है उसपर रोक लगेगी और उपयुक्त उम्मीदवार चुनाव में जीतकर आने से देश का भी उद्धार होगा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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