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17 सितंबर 2012

गरीब मजलूमों के लियें इन्साफ का देवता बने रंगनाथ मिश्र का निधन

दोस्तों कितने अफ़सोस की  है के जिसने हमे प्रताड़ना ..ज़ुल्म ज्यादती के दोर में ऊँगली पकड़ कर चलना  सिखाया जिसने दुःख तकलीफ में हमे इन्साफ दिलाकर हंसना सिखाया आज उसी की मोत को हम भुला बेठे है ..जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं जस्टिस रंगनाथ मिश्र की जिनका जीवन लोगों को न्याय दिलवाने और उनके पीड़ा दूर करने में गुज़र गया .....रंगनाथ मिश्र वकालत से लेकर जज बन्ने  और उसके बाद तक आम जनता और उसकी पीड़ा से लगातार जुड़े रहे ...मानवाधिकार मामलात ..त्वरित न्यायिक व्यवस्था ..शोषण उत्पीडन पुलिस ज़ुल्म के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही का कानून सब आपके फ़सलों में झलकते हैं ..रंग नाथ मिश्र की कोटा से लगातार यादें जुडी रही है इनके जस्टिस कार्यकाल में यह कोटा में लायंस क्लब के कार्यक्रम में आये और कोटा न्यायालय परिसर में निर्मित पक्षकार भवना का इन्होने लोकार्पण किया ..कोटा की पहली लोक अदालत का उद्घाटन भी मिश्र ने किया ...इतना ही नहीं जब आप राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग के  पहले राष्ट्रिय अध्यक्ष बने तो आप ने एडवोकेट अख्तर खान अकेला एडवोकेट आबिद अब्बासी पदाधिकारी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी द्वारा भेजी पुलिस प्रताड़ना की शिकायत को प्रमुखता दी और राष्ट्रिय  आयोग में राजस्थान की पहली शिकायत कोटा की दर्ज कर पीड़ित बाबु इरानी और उसके परिजनों को सरकार से क्षतिपूर्ति राशी दिलवाई साथ ही पुलिस उत्पीडन करने वाले थानाधिकारी के खीलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश जारी किये ...रंगनाथ मिश्र ने ह्युमन रिलीफ सोसाइटी के एडवोकेट अख्तर खान अकेला द्वारा भेजी गयी जेल प्रताड़ना और  की शिकायत को भी गम्भीरता से लिया और प्रमुखता से प्रसंज्ञान  लेकर पहले इस शिकायत की न्यायिक जांच करवाई और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर कोटा जेल सम्बन्धित शिकायात को राजस्थान उच्न्ययाली को जनहित याचिका मानकर  करने के आदेश दिए आज कोटा ही नहीं राजस्थान की जेलों में जो भी सुरक्षा साधन संसाधन उपलब्ध है  वोह सब जस्टिस रंगनाथ मिश्र के  और प्रयासों की ही देन है ..जस्टिस मिश्र इंसाफ के देवता थे उन्होंने देश भर में मानवाधिकार का पथ पुलिस सहित सभी विभागों में पढाया और सरकारों की भी खिंचाई की जो आज देखने को नहीं मिल रहा है ..रंगनाथ मिश्र ने जब पिछड़े मुसलमानों पर अपनी तार्किक निष्पक्ष रिपोर्ट पेश की तो देश की सरकारें हिल गयी एक  हकीक़त देश के सामने थी जिससे राजनितिक भूचाल आ जाना स्वाभाविक था लेकिन अफ़सोस आज वोह हमारे बीच नहीं रहे उनकी रिपोर्ट हमारे बीच है लकिन उसे सियासी कारणों से वोटों के लालच में फ़ुटबाल बना दिया है और लागू कर देश को एक नई दिशा की तरफ नहीं ले जाया जा रहाहै ऐसे निर्भीक ..तार्किक निर्विवाद ..शोषित और उत्पीडित गरीब लोगों की  जाती , धर्म , लिंग देखे बगेर  उन्हें इंसाफ दिलाने की कोशिश करने वाले इंसाफ के देवता को सलाम सेल्यूट . अफ़सोस इस बात का है के  नेटवर्किंग साईट ऐसी शख्सियतों के बारे में लोगों को कोई सच्चाई की जानकारी नहीं दे रही है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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