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02 सितंबर 2012

इस करिश्माई श्रीकृष्ण मंत्र से पूरी करें सफलता और दौलत की चाह



 

अक्सर कई लोग परिवार, कार्यक्षेत्र या समाज में बड़ों से काम से जुड़ी इस तरह की नसीहत सुनते हैं कि 'काम करो और आगे बढ़ो', 'काम से मतलब रखो', 'अपने काम पर ध्यान दो'। इनको सुनकर कुछ लोग इनका मतलब स्वार्थपूर्ति से जोड़ नकारात्मक दिशा में जाते हैं जबकि इन बातों में जीवन की वास्तविकता व सकारात्मकता जुड़ी है।
दरअसल, इन बातों में सकारात्मक पहलू ढूंढे तो कर्म के बूते जीवन को सफल बनाने के ही सबक भगवान श्रीकृष्ण ने पस्त पड़े अर्जुन व जगत को कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में विराट स्वरूप दिखाकर सिखाए। यही वजह है कि भगवान के विराट स्वरूप का स्मरण मात्र ही सुख, संपत्ति, शांति और सफलता दिलाने वाला माना गया है।खासतौर पर अधिकमास में एक विशेष मंत्र तो बहुत ही चमत्कारी माना गया है। इस मंत्र के पांच चरण भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन कराते हैं। इस मंत्र के स्मरण से पहले स्नान से पवित्र होकर श्रीकृष्ण को मात्र गंध, फूल चढ़ाकर माखन का भोग लगाएं और नीचे लिखा मंत्र जप कर धूप, दीप से आरती करें। इस मंत्र जप से कृष्ण पूजा और आरती अपार सुख-संपत्ति, ऐश्वर्य और वैभव देने वाली होती है। जानिए यह मंत्र -
ऊँ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
शास्त्रों के मुताबिक इस मंत्र के पहले पद क्लीं से पृथ्वी, दूसरे पद कृष्णाय से जल, तीसरे पद गोविन्दाय से अग्रि, चौथे पद गोपीजनवल्लभाय से वायु और पांचवे पद स्वाहा से आकाश की रचना हुई। इस तरह यह श्रीकृष्ण के विराटस्वरूप का मंत्र रूप में स्मरण है।

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