रहस्यमयी दरवाजे में है गुप्त गुफा, आज तक कोई नहीं सुलझा पाया इसका राज
हांसी।गगन खेड़ी की बेहद प्राचीन इमारत खेड़ी दरवाजा वर्षो बाद भी अपनी खूबियों को संजोए हुए है। इसका निर्माण सेठ मथुरा दास व सेठ सूरजभान तायल द्वारा बनवाया गया था जिसकी नींव आज से करीब 225 साल पहले रखी गई थी। दरवाजे के नीचे से एक रास्ता निकलता है जो पूरे गांव से होता हुआ मुख्य रास्तों में जाकर मिलता है। ग्रामीणों के अनुसार यह दरवाजा गांव का मुख्य रास्ता था तथा इसे रात्रि के समय बंद कर दिया जाता था ताकि गांव में कोई अप्रत्यक्ष रूप से प्रवेश न कर सके। बुजुर्ग ग्रामीण तेलूराम ने बताया कि इस दरवाजे को चूने और छोटी ईंटों से बनाया गया है। दरवाजे की ऊंचाई 52 फुट तथा लंबाई 70 फुट है। यह दरवाजा दीवारों की बजाए बड़े बड़े पिलरों पर टिका हुआ है। दरवाजे के अंदर 52 पौड़ी, खिड़की, दरवाजों की जोड़ी व प्राचीन पिलर है। दरवाजे की दीवारों पर आकृतियां बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर इन आकृतियों पर रंग से पुताई की जाती है तो इन पर रंग नहीं चढ़ता और यह फिर से दिखाई देने लगती है। दरवाजे पर शेर व कबूतरों की प्राचीन कलाकृतियां तथा नीले रंग के शीशे जड़े हुए है जिनकी वजह से यह सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। दरवाजे की मुख्य दीवारों पर प्राचीन भाषा में कुछ लिखा हुआ है जिसका अनुवाद नहीं किया जा सका है।
दीवारों पर बनी सुंदर कलाकृतियां
तेलूराम के अनुसार सभी पौड़ी एक पिलर के सहारे दरवाजे की छत तक जाती है। छत पर जाते समय हर तीन पौड़ी पर एक मोड आता है। इस दरवाजे की छत से आसपास के कई गांव को देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि तोशाम की पहाड़ी को भी इस दरवाजे से देखा जा सकता है। तेलूराम ने बताया कि गांव में खेडा है जहां शोरा निकालते थे। तेलूराम के अनुसार इस दरवाजे के अंदर एक प्राचीन गुफा है जो एक तरफ से दूसरी तरफ निकलती है। उन्होंने बताया कि आज तक इसके अंदर किसी ने जाकर नहीं देखा है। ग्रामीण कृष्ण लाल, श्याम सुंदर, राजपाल, मा. रोशन लाल, रविकांत, चतर सिंह, बलवान जाखड़ व कई अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस जर्जर हुई इमारत की तरफ ध्यान दे ताकि इतिहास की इस प्राचीन धरोहर की हालत को बचाया जा सके।
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