पानीपत। शहीद भगत सिंह के साथी रहे शहीद क्रांति कुमार का बेटा विनय शर्मा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में टीबी की बीमारी से जूझ रहा है। अपने 55 वर्षीय भाई के लिए उनकी बहन उर्वशी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पत्र लिखकर अपने भाई की जिंदगी बचाने की अपील की है।
स्वाधीनता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन पानीपत की अध्यक्ष उर्वशी का कहना है कि ‘मेरे पिता ने अपनी जिंदगी देश पर कुर्बान कर दी और अपने लिए कुछ नहीं मांगा। लेकिन मैं आपसे मांग रही हूं कि मेरे भाई को कुछ मासिक पेंशन या कोई नौकरी दे दें, ताकि ठीक होने के बाद वह अपनी बची हुई जिंदगी सम्मानपूर्वक गुजार सके। ऐनी ते शहीदां दे परिवारां दी कद्र करो। मेरे वीर नू बचा लो।’ उर्वशी का कहना है कि वह किसी तरह मदद लेकर अपने भाई का इलाज करवा रही हैं।
..जब 12 एकड़ जमीन लेने से किया इनकार
शहीद क्रांति कुमार की बेटी उर्वशी ने हुड्डा को लिखे पत्र में कहा है कि पिताजी को 12 एकड़ जमीन मिली थी, लेकिन उन्होंने उसे लेने से इनकार कर दिया था। देश आजाद होने के बाद उन्होंने सरकार से कोई सहायता नहीं ली । आपने एक बार बीस हजार चेक भेजा था। मुझे उम्मीद है कि मेरे भाई के जीवन के लिए आप जरूर सोचेंगे । शहीद परिवार के लिए कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए। उनके भाई की जान बच जाएगी, उनके लिए इससे बड़ी कोई सहायता नहीं होगी।
क्रांति कुमार : 13 साल रहे जेल में, आजादी के बाद छूटे
6 दिसंबर 1901 में पंजाब (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए क्रांति कुमार युवावस्था में ही कांग्रेस से जुड़े और 1926 में शहीदे आजम भगत सिंह के संपर्क में आए । भगत सिंह के महत्वपूर्ण काम व संवेदनशील फाइलें शहीद क्रांति कुमार ही पहुंचाते। भगत सिंह के संदेश को ले जाते समय 1926 में जेल भेजे गए । ब्रिटिश सरकार ने उनको ए बुलेट इन द सॉस नामक झूठे केस में फंसा दिया। देश आजाद होने पर छूटे। 15 मार्च 1966 को हिंदी भाषा को लेकर छेड़े गए आंदोलन के कारण उठे पंजाबी-हिंदी विवाद के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने उन्हें दुकान के अंदर पेट्रोल फेंककर जिंदा जला दिया था।
स्वाधीनता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन पानीपत की अध्यक्ष उर्वशी का कहना है कि ‘मेरे पिता ने अपनी जिंदगी देश पर कुर्बान कर दी और अपने लिए कुछ नहीं मांगा। लेकिन मैं आपसे मांग रही हूं कि मेरे भाई को कुछ मासिक पेंशन या कोई नौकरी दे दें, ताकि ठीक होने के बाद वह अपनी बची हुई जिंदगी सम्मानपूर्वक गुजार सके। ऐनी ते शहीदां दे परिवारां दी कद्र करो। मेरे वीर नू बचा लो।’ उर्वशी का कहना है कि वह किसी तरह मदद लेकर अपने भाई का इलाज करवा रही हैं।
..जब 12 एकड़ जमीन लेने से किया इनकार
शहीद क्रांति कुमार की बेटी उर्वशी ने हुड्डा को लिखे पत्र में कहा है कि पिताजी को 12 एकड़ जमीन मिली थी, लेकिन उन्होंने उसे लेने से इनकार कर दिया था। देश आजाद होने के बाद उन्होंने सरकार से कोई सहायता नहीं ली । आपने एक बार बीस हजार चेक भेजा था। मुझे उम्मीद है कि मेरे भाई के जीवन के लिए आप जरूर सोचेंगे । शहीद परिवार के लिए कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए। उनके भाई की जान बच जाएगी, उनके लिए इससे बड़ी कोई सहायता नहीं होगी।
क्रांति कुमार : 13 साल रहे जेल में, आजादी के बाद छूटे
6 दिसंबर 1901 में पंजाब (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए क्रांति कुमार युवावस्था में ही कांग्रेस से जुड़े और 1926 में शहीदे आजम भगत सिंह के संपर्क में आए । भगत सिंह के महत्वपूर्ण काम व संवेदनशील फाइलें शहीद क्रांति कुमार ही पहुंचाते। भगत सिंह के संदेश को ले जाते समय 1926 में जेल भेजे गए । ब्रिटिश सरकार ने उनको ए बुलेट इन द सॉस नामक झूठे केस में फंसा दिया। देश आजाद होने पर छूटे। 15 मार्च 1966 को हिंदी भाषा को लेकर छेड़े गए आंदोलन के कारण उठे पंजाबी-हिंदी विवाद के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने उन्हें दुकान के अंदर पेट्रोल फेंककर जिंदा जला दिया था।
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