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17 सितंबर 2012

पचपन में माँ की ममता ने बचपन याद दिलाया

दोस्तों इन दिनों में बीमार चल रहा हूँ यूँ तो रोज़ मर्रा की जिंदगी में बीमारी अजारी चलती रहती है लेकिन वायरल और फिर थकान वगेरा के कारण बीमारी ने घर बना लिया ..दवाएं वक्त पर चल रही है पत्नी भी जितना हो सकता है सार सम्भाल कर रही है लेकिन इस बीमारी के दोरान एक बार फिर माँ के दुलार ने मुझे पचपन से बचपन में ला खड़ा किया है ....वायरल और फिर उसके बाद के हालत आप समझ सकते है दवाओं की गर्मी ...खांसी ..नजला ज़ुकाम ..रात को घबराहट ..दर्द की तड़प सभी समझते है ..बीवी डॉक्टरी  दवाएं देती रही है ..बच्चे जो खिदमत होती है वोह करते रहे है और हम थोड़े तडपे गोली खाई उठे और कम पर चल दिए ..लेकिन इस बार बीमारी ने लम्बा घर कर लिया है ...मरदूद जाने का नाम ही नहीं लेती है हर बार बीमारी को मेने पछाड़ा है लेकिन बीमारी है के मुझे पछाड़ देना चाहती है ..मेरी खांसी ..मेरा नजला ..मेरे बुखार को देख कर मेरी माँ एक बार फिर तड़प उठीं और उन्होंने दादी माँ और नानी माँ के नुस्खों की लाइन लगा डाली ..पहले हल्दी का दूध दिया ..कम नहीं चला तो लॉन्ग गर्म कर के दी ..फिर काली मिर्च चूसने को दी ..कम नहीं चला तो हरिरा बना कर दिया ..पानी गर्म कर गरारे करवाए .....तुलसी के पत्तों और दाल चीनी अदरक की चाय बनवाई ..नीबू की बिना दूध की चाय बनवाई ..अदरक काट कर तवे पर सकी नमक से लगा लगा कर खिलवायी फिर आटे का हरिरा बनवा कर खिलाया ..एक दिन में मुझे मेरी माँ ने फिर माँ याद दिला दी रात्री को बार बार उठ कर आना तबियत के बारे में पूंछना ....बच्चों को हाथ पैर दबाने के लियें प्रेरित करना कुल मिला कर दुआओं के साथ साथ देसी इलाज माँ का प्यार और डॉक्टरी इलाज चल रहा है लेकिन यकीन मानना दोस्तों में इस बीमारी को धन्य कहना चाहूँगा इस बीमारी का शुक्रगुजार रहूंगा के इस बीमारी के कारण मुझे माँ का प्यार माँ का दुलार जो बचपन में था वोह इस पचपन में याद दिला दिया है ..बीवी की खिदमत अपनी जगह है लेकिन माँ तो बस माँ है खुदा हमेशा सभी की माँ को सह्त्याब रखे लम्बी उम्र दे ..खुशहाल रखे ..चलता फिरता रखे और जो लोग माँ की खिदमत नहीं कर रहे है उन्हें खुदा माँ को समझने माँ की खिदमत करने की तोफीक दे ...में इस पोस्ट को मेरी पत्नी से छुपा कर लिख रहा था लेकिन अचानक उसकी नज़र पढ़ गयी और उसने माँ के दुलार के लियें यह पोस्ट पढ़ी तो वोह रो फफक फफक कर रो पढ़ी क्योंकि काल के क्रूर हाथों ने अभी हाल ही में हमारी पत्नी की माँ को छीन लिया है खुदा  हमारी सासू माँ को   जन्नत नसीब करे ..मेरी बीवी की आँखों में आंसू चेहरे पर सुबकियाँ देख कर मेरी माँ ने एक बार फिर उसे गले लगा कर सांत्वना दी के सब्र करो माँ नहीं तो दूसरी माँ में हूँ ना ...खुदा मेरी पत्नी को भी सब्र दे और सभी की माँ को जिंदाबाद .आबाद ..सह्त्याब ..साडी खुशियों के साथ लम्बी उम्र अता फरमाए आमीन सुम्मा आमीन ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. समाचार पढ़कर ज्ञात हुआ कि आप बीमार चल रहे है. आप जल्द से जल्द स्वास्थ्य हो ऐसी खुदा से दुआ करता हूँ. आपने सच लिखा है कि पत्नी की खिदमत अपनी जगह है लेकिन माँ तो बस माँ है. माँ के प्रेम स्वार्थ नहीं होता है. इसलिए माँ के चरणों में जन्नत है. अगर कोई समझ सकें तो माँ-बाप की सेवा सब भगवानों की पूजा से बड़ी पूजा है. कुछ परिस्थितिवश मुझे सात अगस्त से अपनी विधवा माता जी की अधिक से अधिक सेवा करने का अवसर मिल रहा है. जिसके लिए मैं खुदा का शुक्रिया करता हूँ.

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  2. माँ की याद मेँ जो कहानी लिखने जा रहा हूँ सोचता हूँ की सबको पसँन्द आये और अपनी माँ के प्यार के प्रती वो जाग जाये तथा अपनी माँ के साथ दूर ब्यहार न करे मै आष करता हूँ की आपलोग ऐसा ही करगे अब मै आपके सामने माँ की याद कहानी पेस करने जा रहा हूँ जय माँ सच मेँ धन्य हैँ माँ धन्य हैँ माँ की ममता मै गाँव से कई मिलू दू शहर मेँ रहता हूँ और मैँ अक्कसर अपनी माँ को याद किया करता हूँ माँ का आशिबाद हैँ जो साथ दे रहा हैँ और कोई रहा नही साथ देने वाला हर खुशी तथा हर दु:ख मै मुझे अक्कसर माँ याद आती हैँ और मै कभी-कभी तो काफी रोता भी हूँ माँ जब बचपन मेँ प्यार सेँ प्यार किया करती थी और गलती पे मारके जो गले लगाती थी सब याद हैँ कुछ भी भुला नही है दिल ऐसा लगाता हैँ मै माँ के लिये आज भी बच्चा हूँ आज भी याद हैँ मै माँ को कितना परेशान किया करता था और माँ मारती कम प्यार ज्यादा किया करती थी प्यार से खाना खिलाना प्यार से नहलाना प्यार से खिच के थप्पड मारना तथा प्यार सेँ एक प्पपी देना आज भी याद है माँ लेखक कमल गोस्वामी

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