मुंबई। गणोश नगर, दादर। ये है पता लालबाग के राजा का। यानी दस दिन का गणोश मंदिर। इसे बनाने की तैयारियां तीन महीने से चल रही हैं।
हकीम मोहम्मद यूसुफ कोल्हापुरी की टीम अपना काम संभालने को मुस्तैद है। वे तीस सालों से राजा की खिदमत में हैं। वे दान-दक्षिणा में आए नोट और गहनों की गिनती करते हैं।
उन्हें उम्मीद है कि इस दफा चढ़ावा 30 करोड़ का आंकड़ा पार करेगा। पिछले साल 26 करोड़ रुपए जमा हुए थे। 50 लोगों को 12 दिन लगे थे नकदी गिनने में।
एक पखवाड़े बाद दस दिनी गणोशोत्सव शुरू हो जाएगा। यह देश का अकेला ऐसा उत्सव है, जिसमें सिर्फ दस दिनों में राष्ट्र, महाराष्ट्र और दुनिया भर के 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालु शिरकत करते हैं। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा शुरू की गई इस परंपरा में लालबाग के उत्सव को 78 साल पूरे हो रहे हैं।
यहां दस दिनों में देश के सबसे समृद्ध तिरुपति मंदिर से ज्यादा नकदी और जेवर जमा होते हैं। आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष राजेंद्र लांजवाल बताते हैं कि 2011 में 26 करोड़ का चढ़ावा आया। इसमें करीब छह करोड़ रुपए मूल्य के आभूषण भी शामिल हैं।
एक दिन के अधिकतम चढ़ावे का रिकॉर्ड 3.5 करोड़ रुपए है। इस बार 19 सितंबर से नोट गिनने का काम शुरू होगा। नोट गिनने की दस में से पांच मशीनें तो आयोजन समिति की हैं।
पांच बैंकों से आएंगी। लालबाग के राजा का रुतबा गजब है। 12 फुट ऊंची प्रतिमा 20 किलो वजनी सोने के आभूषणों से सजेगी। 45 करोड़ का तो बीमा ही हुआ है इनका।
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