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19 अगस्त 2012

एक शख्सियत जिससे मिलो तो बस मिलते रहने का जी चाहता है ..इस शख्सियत का नाम है शहर क़ाज़ी अनवर अहमद


दोस्तों आज आपकी मुलाक़ात ऐसी शख्सियत से कराई जा रही है जिसकी जीवन शेली का हर कोई अनुकरण करना चाहता है ..मानवता ..इंसानियत ..इंसाफ और साफगोई ..निमर्लता ..मधुरवाणी की जीती जागती मिसाल जिसका नाम है उन्हें कोटा शहर काजी अलहाज अनवर अहमद के नाम से जाना जाता है ..जी हाँ दोस्तों शहर काजी का नाम आते ही लोगों के दिलो दिमाग में एक वर्ग ..एक जाती एक समाज के धर्मगुरु की छवि उभरती है लेकिन अनवार साहब ने अपने आचरण और अखलाक से सभी वर्ग सभी धर्म के लोगों का दिल जीत लिया है और इसी काबलियत की वजह से शहर काजी कोटा अनवर अहमद कोटा में नहीं हाडोती में हीं नहीं राजस्थान के लोगों की दिल की धडकन बन चुके है किसी भी धर्म मजहब का कोई भी प्रोग्राम हो हर कोई उनकी तकरीर उस कार्यक्रम में कराना चाहता है .....दोस्तों आज कोटा शहर क़ाज़ी ने अस्सी साल का सफर पूरा किया उन्हें मुबारकबाद ..लेकिन अस्सी साल के इस सफर में उन्होंने त्याग तपस्या की जो मिसाल पेश की है उसने उनकी जिंदगी को अब तक बेदाग़ रखा है ..कोटा को एक संरक्षक की तरह से सम्भाल कर रखना ...कोटा के हर दुःख दर्द में हमेशा साथ खड़े रहना ....शहर क़ाज़ी के पूर्वजों को अलाउद्दीन खिलजी के वक्त काज़ियत के परवाने दिए गए थे जिसे कोटा के महाराजा ने परम्परागत तरीके से पट्टे परवाने के रूप में आगे बढ़ाया ..अपने नाना के बाद अनवर साहब ने शहर काजी का पद जब से संभाला तब से ही कोटा की मुसीबते खत्म हो गयीं ..कोटा जिला प्रशासन हो कोंग्रेस भाजपा या किसी भी दल के नेता हो महंत हो पंडित हो जो कोई भी हो सभी काजी साहब की अमानतदारी ..ईमानदारी तोल मोल के बोल के सिद्धांत के प्रशंसक है ...अनवर साहब कई वर्षों से बेतुल माल के रूप में आम जनता की रकम की अमानत दारी और सही लोगों तक इसका लाभ पहुंचा रहे है ...आप कोटा में ही नहीं ..राजस्थान में ही नहीं पुरे हिंदुस्तान में एक अकेला ऐसे काजी है जिसने ग्रेजुएट करने के बाद काजी का काम शुरू किया है आपने दुनिया की शिक्षा केसाथ साथ दिन की तालीम और तरबियत में भी आला मुकाम हांसिल किया है ..आपकी अमानतदारी ..ईमानदारी ..सच्चाई ..निष्पक्षता की आज भी लोग मिसाल दे रहे है और यही कोटा के लोगों के प्यार का उनके लियें इनाम है ..खुदा शहर काजी अनवर अहमद को लम्बी उम्र दे ..सह्त्याबी दे ..ताकत दे ..जुबान में वोह तासीर दे के जो कहें वोह पूरा हो तो जनाब यह शख्सियत जो दिखने में आम आदमी सी लगती है लकिन जब इनसे मिलते है ..इनको समझते है तो लगता है हमारी मुलाक़ात किसी आम आदमी से नहीं बलके किसी इंसाफ के अमन पसंद फरिश्ते से हो गयी है ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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