आपका-अख्तर खान

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26 अगस्त 2012

अरबों रूपये खर्च के बाद भी शाहाबाद आबाद नहीं हो सका ना ही उसकी ऐतिहासिक धरोहर की सार संभाल है

दोस्तों देश में आदिवासी जातियों के उत्थान के नाम पर अनोखा घोटाला अगर कहीं है तो वोह राजस्थान के आदिवासी इलाके बारा जिले के शाहाबाद उपखंड में है ..शाहाबाद उपखंड में सहरिया आदिवासी जाती के लोग निवासित है ..राजस्थान के आखरी छोर और मध्यप्रदेश की शिवपुरी से सता यह इलाका घने जंगलों और आदिवासियों के पिछड़े पन के लियें मशहूर रहा है ...इस इलाके के उत्थान के लियें भारत सरकार आज़ादी के बाद से ही संविधान निर्माण के साथ ही चिंतित हो गयी थी ......शाहाबाद के आदिवासियों को न्याय दिलाने के लियें देश का शासक गाँधी परिवार काफी चिंतित नज़र आया है ..शाहाबाद के सहरियों की उपेक्षा के चलते एक मुख्यमंत्री को भी शहीद होना पढ़ा है ..........यह इलाका पहले कोटा जिले में और अब बारां जिला बनने के बाद बरा में आ गया है ....इंदिरा गाँधी हो चाहे राजिव गाँधी और या फिर राहुल गाँधी हों इस इलाके में अचानक आते है विशेष पैकेज की बात करते है और फिर चले जाते है यहा उपखंड मजिस्ट्रेट लगने के लियें अधिकारीयों को काफी पापड बेलना पढ़ते है क्योंकि बिना किसी बदनामी के खीर खाने को अगर कहीं मिलती है तो वोह इसी इलाके में मिलती है .....दोस्तों एक बार राजीव गाँधी जब इस इलाके में आये थे तब में हमारे एक पत्रकार साथी स्वर्गीय रामचरण सितारा जी के साथ इसी शाहाबाद में था तब मेने सोचा था के अगर जो राजीव जी ने कहा है वेसा हो गया तो इस इलाके की तस्वीर ही बदल जायेगी लेकिन दोस्तों नजदीक ही एक बुज़ुर्ग ने टूटी फूटी भाषा में कहा था के यह आदिवासी इलाका है यहाँ लोग जेब भरने आते है ..अनसु पोंछने नहीं इसके पहले इंदिरा जी भी आ चुकी है ..मोरारजी ने भी इस इलाके के लियें विशेष पैकेज दिया और भेरोसिंह शेखावत ने तो इस इलाके को गोद लेने की बात कही थी ..खेर पिछले दिनों अचानक राहुल गाँधी चुपचाप आये कोटा एयरपोर्ट पर उतरे और सीधे शाहाबाद के लियें रवाना हो गये वहा झोंपड़ी में रहे तगारियां उठाई ..मजदूरी की और विशेष पैकेज की बात करके आ गये ....कुछ दिनों बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राहुल गाँधी ने इस इलाके के पिछड़े पन पर नाराजगी जताई तो जनाब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अचानक शाहाबाद यात्रा का कार्यक्रम बनाया ..हम भोले भले लोग सोचते रहे शाहाबाद में अरबों रूपये का पैकेज है शाहाबाद तो चमन हो गया होगा वहां की ऐतिहासिक धरोहरें सुरक्षित और सुन्दर हो गयी होंगी ..कल हमे अपने वकील साथियों के साथ इस इलाके में पिकनिक के लियें जाने का मोका मिला ..दोस्तों बारिश का मोसम था पिकनिक का माहोल था सभी साथी साथ में थे हम पहले शाही जामा मस्जिद जो ऐतिहासिक धरोहर देखने गए यकीन मानिये दीवारों पर काई ...पत्थरों पर काई ..ऐसा लगता था के वर्षों से यहाँ कोई सफाई नहीं हुई ..............मेने चारों तरफ देखा कहीं कोई ऐतिहासिक मोनुम्नेट का बोर्ड नहीं लगा था मस्जिद का इतिहास इसके निर्माण की लागत की कोई जानकारी वाला बोर्ड पुरातत्व विभाग ने नहीं लगाया था ...मस्जिद की मरम्मत नहीं हुई थी उसकी मरम्मत और जर्जर हालत को सुधारने का कोई प्लान कोई योजना नहीं थी ........हमने वहां दो फर्ज़ अदा किये और फिर किले की तरफ चल दिए .......किले का इतिहास अपना इतिहास है शाहाबाद का अपना इतिहास है लेकिन दोस्तों पुरातत्व विभाग या स्थानीय प्रशासन ने किले की ऐतिहासिक महत्ता की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रखी है...हालात यह है के किले तक जाने का रास्ता भी साफ नहीं है वहां तक जाने की कोई सड़क तय्यार नहीं की गयी है हम लोग पैदल साड़े सात किलोमीटर जाना और इतना ही आना का सफर पैदल; तय करके गए लेकिन दोस्तों अफ़सोस दर अफ़सोस इस किले की सुरक्षा और ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने के लियें सरकार और पुरातत्व विभाग ने कुछ नहीं किया है केवल खँडहर झाड़ियाँ और विराना यहाँ पसर रहा था एक पिकनिक अलबत्ता थी लेकिन पेंथर के डर से वहां आवाजाही कम थी .तो दोस्तों यह शाहबाद गांधी शासक परिवार का लाडला रहा है ..मुख्यमंत्री भेरोसिंह शेखावत का मिशन रहा है लेकिन इस शाहाबाद में करीब अट्ठाईस साल बाद भी जाकर देखा तो इसकी ऐतिहासिक धरोहर में कोइन संरक्षा ..ओकोई प्रबन्धन नहीं मिला केवल जर्जरता और उपेक्षा को बढ़े हुए देखा ..यहाँ के लोग नरेगा के नाम पर रोज़गार से तो जुड़े लेकिन यहाँ का विकाल जिस अनुपात में यहाँ सरकारी मदद आई है उसका दस फीसदी भी नहीं हो सका है तो फिर सरकार की भेजी जाने वाले बाक़ी मदद कहाँ गयी इसका जवाब किसी के पास नहीं है इसके घोटाले और भोतिक सत्यापन की मांग कोई भाजपाई या कोंग्रेसी उठाना भी नहीं चाहता है ...पुरातत्व विभाग ने तो ऐतिहासिक मस्जिद और किले को देखना उसे संरक्षित कर वहा विस्तर्त जानकारी वाला बोर्ड भी नहीं लगाया गया है ..तो दोस्तों यह है शाहाबाद के विकास और राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का सच ....................
शाहबाद किला
शाहबाद किला बारां से करीब 80 किमी. दूर है। इसका निर्माण चौहान वंशी दंढेल राजपूत मुकुटमणी देव ने 1521 में करवाया था। घने वनों में ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित इस किले में तोपखाना और बुरुदखाना मंदिर है। किले के ओर कुंडकोह घाटी और बाकी दो ओर तालाब और ऊंची पहाड़ियां हैं। किले में 18 बंदूके हैं जिनमें से एक की लंबाई तो 19 फीट है।

शाहबाद की शाही जामा मस्जिद
शाही जामा मस्जिद बारां शहर से करीब 80 किमी. दूर स्थित है। इसका निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में किया गया था। इस मस्जिद का मुख्य आकर्षण इसके खूबसूरत स्तंभ और मेहराब हैं। इसकी सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।


1 टिप्पणी:

  1. खरगोश का संगीत राग रागेश्री
    पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
    स्वरों में कोमल
    निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
    पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत
    में पंचम का प्रयोग भी किया है,
    जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल
    में चिड़ियों कि चहचाहट से
    मिलती है...
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