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09 अगस्त 2012

महंगाई से जनता का ध्यान बटाने के लियें केंद्र ने क्या है अन्ना हजारे और बाबा रामदेव से आन्दोलन करवाने का समझोता

अन्ना हजारे और बाबा रामदेव पिछले तीन सालों से जनता को एकत्रित कर सरकार के महंगाई से जुड़े मुद्दे को भटका रहे है और लोकपाल ..कालाधन में इस खास मुद्दे को उलझा कर रख दिया है इसके लियें केंद्र सरकार ने दोनों महानुभावों को कई मामलों में छुट भी दी है ..यह कोई आरोप नहीं पुख्ता बात है ..पूरा देश जनता है के जबसे अन्ना और बाबा रामदेव का आन्दोलन हुआ है तबसे आज तक रोज़ मर्रा के काम आने वाली खाने की वस्तुओं के भाव आसमान पर है चोर दरवाज़े से रोज़ पेट्रोल की कीमते बढ़ रही है ..जरा सोचो नल ..बिजली..टेलीफोन ..टेक्स ..दूध दही घी मक्खन और सब्जियां फ्रूट यानि खाने पीने और रोज़ इस्तेमाल की सभी चीज़े महंगाई का रिकोर्ड तोड़ चुकी है लेकिन बाबा रामदेव हो चाहे अन्ना हजारे और उनकी टीम के लोग हो कभी भी महंगाई के मुद्दे पर नहीं बोले है पहले बाबा रामदेव लोकपाल को मुद्दा नहीं मानते थे जब आनन के लोकपाल के गुब्बारे की हवा निकली तो अब यही गुबार तीन दिन केवल तीन दिन की नोटंकी पर बाबा रामदेव फुलाने आ गए है ...दोस्तों अगर आज बाबा रामदेव और अन्ना हजारे देश के युवाओं और करोड़ों लोगों को लोकपाल और काले धन के झमेले में नहं उलझाते तो जनता का आन्दोलन सीधे महंगाई के खिलाफ होता भूख के खिलाफ होता और अगर ऐसा होता तो केंद्र सरकार से जुड़ा हर नेता रोज़ सड़कों पर पिटता हिंसा होती ...ऐसे में सरकार का चलना मुश्किल हो जाता लेकिन चाणक्य निति के तहत के शासन चलाने में अगर लूट खसोट करना है और महंगाई बढ़ाना है तो जनता को आपस में मुद्दों पर उलझाये रखो वरना यह जनता अगर इसे सोचने भार का भी मोका मिल जाएगा तो शासन को पलट कर रख देगी सत्ता बदल देगी मिस्र ..इरान अफगानिस्तान की तरह सत्ता पलट देगी .लेकिन भारत में यह सब होता इसके पहले ही सरकार ने दो जमूरों बाबा रामदेव और अन्ना से समझोता क्या उन्हें सरकार के खिलाफ लड़ने के लियें कहा गया केवल सुनारी लड़ाई दिखावटी लड़ाई और जनता को इस लड़ाई में थका थका कर महंगाई का मुद्दा भूल जाने के लियें मजबूर कर दिया ...आज अन्ना वापस घर बेठ गए है उन्होंने जनता का विश्वास बेच दिया है और बाबा रामदेव केवल तीन दिन का उपवास वाह भाई वाह केवल तीन दिन देश के लियें बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का जो छीर तो कतराए खु न निकला ..तो जनाब यह है जमूरों का खेल देश की जनता महंगाई भूख के खिलाफ नहीं लदे केंद्र के नेताओं को सडकों पर नंगा कर नहीं मारे सीधा गुस्सा नेताओं पर नहीं उतरे इस्लिएँ एक सो इक्कीस करोड़ लोगों को दो सालों तक व्यस्त रख कर देश लुटने का यह नया समझोता न्य तरीका है जो जनता समझ गयी न तो इन जमूरों का भी जनता की अदालत में बुरा हाल होगा और फिर यह शलवार कुरता फन कर भी भाग नहीं सकेंगे .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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