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01 अगस्त 2012

यह कोई फ़िल्मी सीन नहीं: पिता की ख्वाहिश पूरी, अस्पताल में हुआ बेटी का निकाह

जयपुर.सोफे पर एक तरफ लड़के और काजी के बैठने के लिए इंतजाम तो वहीं दूसरी तरफ कोने में पर्दा लगाकर दुल्हन के लिए खास इंतजाम। बुधवार को फोर्टिस हॉस्पिटल परिसर में कुछ अलग ही माहौल था। हॉस्पिटल में पहली बार निकाह जो होने जा रहा था। यहां भले ही शादियों में होने वाली वो भव्य सजावट नहीं थी, लेकिन अपने पेशेंट आबिद की खुशी में पूरा स्टाफ ही खुश था।

लंग्स कैंसर से पीड़ित आबिद की यह ख्वाहिश थी कि उनकी बेटी सारा का निकाह उनके सामने हो। सारा आबिद सिद्दीकी की इकलौती बेटी हैं। उन्होंने अप्रैल में बेटी की मंगनी धूमधाम से की थी। इसके बाद खुदा का शुक्र अदा करने के लिए वो बेटी को लेकर सऊदी अरब में मक्का मदीना उमरा करने भी गए थे।

इसके कुछ समय बाद ही वह इस बीमारी में उलझते चले गए और आज हालात काफी क्रिटिकल हैं। जहां दवा से ज्यादा अब दुआओं की जरूरत है। इस सेरेमनी में आईसीयू इंचार्ज डॉ. शब्बर ज्योत और डॉ. सुशील कालरा भी मौजूद थे। डॉ. कालरा कहने लगे यह पहला मौका है जब मैंने हॉस्पिटल में निकाह होते हुए देखा है।

आबिद का ट्रीटमेंट मैं ही कर रहा हूं। मेरा पेशेंट अभी बात करने की स्थिति में नहीं, लेकिन उनकी आंखें कह रही थीं वाकई खुश थे वे।शाम 4 बजे हुए इस निकाह में रिश्तेदारों के साथ हॉस्पिटल स्टाफ भी इसका गवाह बना।

आबिद का बेड ऐसी जगह लगाया गया जहां से वो दूल्हा-दुल्हन को देख पाएं। सारा ने पिता के सिरहाने बैठकर ही निकाह पढ़ा। निकाह के बाद अबिद ने दामाद को शगुन के तौर पर कुछ रुपए भी दिए। आबिद की पत्नी और नगर निगम में पार्षद आयशा सिद्दीकी कहने लगी मेरे पति जब से बीमार हुए हैं तभी से चाहते हैं कि सारा का निकाह उनके सामने हो।

दिल्ली में जब यह हॉस्पिटल में थे तब भी इन्होंने इस ख्वाहिश का इजहार किया था और अब जयपुर में भी कई बार यह इस बात को दोहरा चुके थे। मुझे घर के बड़ों ने भी यह सलाह दी और आज हॉस्पिटल में यह निकाह हो गया।

ये अगर ठीक होते तो हम इसकी शादी बहुत धूमधाम से करते। आज तो निकाह सिर्फ छुआरों से हुआ है। इस पर उनके दामाद आजम कहने लगे मैं तो खुद चाहता था कि मेरा निकाह सादगी से हो। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि हम अंकल की यह ख्वाहिश पूरी कर पाए।

कुछ खास हुई दुआ

निकाह के बाद अक्सर काजी साहब दूल्हा-दुल्हन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाने के लिए दुआ करते हैं, जिससे दोनों के रिश्ते में और भी मिठास घुले, लेकिन इस निकाह के बाद की दुआ भी कुछ अलग थी। काजी मो. हफीजुर्रहमान रहमान कासमी ने इस दुआ में पेशेंट की सेहत की दुआ मांगी, जिसमें यह इल्तिजा थी कि बिटिया की जिंदगी में आई ये खुशी उन्हें सेहत का तोहफा दे जाए।

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