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14 अगस्त 2012

आमरण अनशन के हथियार से दुश्मनों को जीतने वाला गाँधी के बाद देश को कोई दूसरा गाँधी न मिल सका

दोस्तों मेरे इस देश को महात्मा गाँधी के बाद दूसरा कोई गांधी न मिल सका कई लोगों ने नकली गाँधी देश की आंधी बनने की कोशिश की लेकिन उनकी दुम उठाकर देखने पर वोह सब मादा ही साबित हुए है ...महात्मा गाँधी जी हाँ एक उपवास एक भूक हडताल से अंग्रेजों की हुकूमत हिला देने वाले गान्धी जिन्हें बाद में महात्मा फिर राष्ट्रपिता कहा गया ..अफ़सोस तो यह है के इस सो कोल्ड महात्मा और राष्ट्रपिता को तात्कालिक कोंग्रेस सरकार लिखित में कोई उपाधि नहीं दे सकी केवल ज़ुबानी जमा खर्च किया और अब कुछ लोगों को इस मामले में बतंगड़ बनाने का मोका मिल गया है ..गाँधी जिसने कभी न किसी को गली बकी ..न लाठी उठाई ..बस खुद को भूखे रख कर तकलीफ उठाई और देश एक होता चला गया उनके पास आमरण अनशन यानी म्रत्यु की चिंता किये बगेर भूखे रहने की घोषणा और फिर इस घोषणा की शत प्रतिशत बिना किसी धोकेबाज़ी की पालना उनके लियें परमाणु बम से भी ज्यादा रक्षक हथियार साबित हुआ और आज वोह देश में आज़ादी का आन्दोलन हो या फिर अंग्रेजों को शालीनता से सबक सीखने की बात हो याद किये जाते है ...तो क्या हुआ अगर काल के क्रूर हाथों ने किसी वहशी दरिन्दे के हाथों उनकी हत्या करवादी ....तो क्या हुआ आज भी इस वहशी दरिन्दे से जुड़े कुछ देश द्रोही लोग इस महात्मा पर फब्तियां कसते है दोष निकलते है लेकिन विश्व आज भी इस महात्मा का सम्मान करता है और कोई चाह कर भी कोशिशों के बावजूद भी इस महात्मा के खिलाफ की नुस्क नहीं निकाल सका है ..............दोस्तों आज़ादी के बाद हमारे इस देश में सेकड़ों लोग सडकों पर निकले ..आमरण अनशन भूख हड़ताल के रास्ते पर चले लेकिन तोबा तोबा सब दिखावा ही साबित हुआ एक महिला अपवाद थी बाक़ी तो बस एक दिन का अनशन ..तीन दिन का उपवास ..उपवास की घोषणा और फिर उपवास की तारीख में फेरबदल ....आर पार की लड़ाई की घोषणा और फिर दुम दबाकर उपवास तोड़कर भागजाना ..उपवास करने के नाम पर खुद को गाँधी कहलाने की ललक रखने वालों का अब तो बस यही धब्बे वाला इतिहास रहा है म़ोत से सब डरते है लेकिन जो म़ोत से नहीं डरता जो कहता है वही करता है गांधी वही बन सकता है वरना तो अन्ना ..बाबा ..रामदेव तो सवा सो करोड़ में सवा करोड़ तो आसानी से मिल जायेंगे सियासी उपवास भूख हडतालें आन्दोलन रोज़ हम और आप देखते है एक भूल जरुर हमने की थी के अन्ना में गाँधी देखा था सोचा था के अगर अन्ना अड़े रहे और खुदा न करे इस अड़ियल रुख की वजह से अगर अन्ना के स्वास्थ को कुछ हो जाता तो यकीन मानिये अन्ना देश के लियें एक नई दिशा देने वाले गाँधी होते ..बाबा रामदेव अगर देश के लियें जान देने की बात करते अगर अनिश्चित कालीन अनशन कर खुद को तकलीफ देते तो सरकार तो क्या सरकार के बाप को झुकना पढ़ता लेकिन सरकार जानती है सरकार के पास आई बी की रिपोर्टें रहती है के बाबा और अन्ना के पास हाथी के दांत है जो खाने को और दिखाने के और हैं .सरकार जानती है के अन्ना या बाबा रामदेव के यह आंसूं देश के लियें देश की जनता के लियें नहीं सिर्फ और सिर्फ सियासत के लियें घडियाली आंसू है .स.रकार जानती है के यह लोग देश के लियें नहीं कोंग्रेस के खिलाफ विपक्ष के साथ मिलकर खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे जेसी लड़ाई लड रहे है और इसीलियें भावावेश में जो लोग इनके साथ आते है बाद में वही लोग इनको गालियाँ बककर इनसे नाराज़ होकर किनारा कर लेते है ..तो दोस्तों गान्धी के बाद इस देश में अब तक कोई ऐसा दूसरा गाँधी पैदा नहीं हो सका जो भूख हड़ताल के नाम पर आमरण अनशन की घोषणा करे और अपनी वाजिब मांगों के समर्थन में भूखे रहकर बलिदान देने को तय्यार हो बस देश को अगर ऐसा कोई गाँधी मिल जाता तो दोस्तों देश में कला धन भी वापस आता ..लोकपाल भी आता ..लोकतंत्र भी भीड़तंत्र से अलग हट कर होता ..देश की तस्वीर अलग होती और यह कोंग्रेस के नेता जो अनशनकारियों का मजाक उड़ा रहे है यही लोग सरकार से नीचे होते लेकिन नहीं मिला इस देश को गांधी के बाद दूसरा गांधी मिले तो बस जनता को भटकाकर भावनाओं में भडका कर अपना उल्लू सीधा करने वाले और खुद को हीरो बना कर महिमा मंडित करवाने लोग ही मिले तो फिर देश को इन्साफ नहीं सिर्फ और सिर्फ अराजकता निराशा ही हाथ लगेगी ..और ऐसे लोग अगर और आते रहे तो देश में अगर कभी कोई सच्चा गाँधी भी बनकर आया तो लोग उनके धोखों के कारण उस सच्चे गाँधी की बात पर भी भरोसा नहीं करेंगे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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