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09 अगस्त 2012

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कल: जानिए, पूजन व व्रत विधि और शुभ मुहूर्त



10 अगस्त, शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के निमित्त व्रत रखा जाता है व विशेष पूजन किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी व्रत रखता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह मोह-माया के जाल के मुक्त हो जाता है। यदि यह व्रत किसी विशेष कामना के लिए किया जाए तो वह कामना भी शीघ्र ही पूरी हो जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन व व्रत की विधि इस प्रकार है-

व्रत व पूजन विधि

जन्माष्टमी (10 अगस्त, शुक्रवार) के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें व साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सभी देवताओं को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें (जैसा व्रत आप कर सकते हैं वैसा संकल्प लें यदि आप फलाहार कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें और यदि एक समय भोजन कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें)।

इसके बाद पंचामृत व गंगा जल से माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें। पालने को सजाएं। इसके बाद सोलह उपचारों से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी आदि के नाम उच्चारण करें। अंत में माता देवकी को अघ्र्य दें। भगवान श्रीकृष्ण को पुष्पांजलि अर्पित करें। चन्द्रमा को शंख में जल, फल, कुश, फूल, गंध डालकर अघ्र्य दें एवं पूजन करें।

रात्रि में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पालने को झूला करें। पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं। आरती करें और रात्रि में शेष समय स्तोत्र, भागवद्गीता का पाठ करें। दूसरे दिन पुन: स्नान कर जिस तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो, उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें।

शुभ मुहूर्त

सुबह 06:20 से 07:05 तक- चल

सुबह 6: 32 से 8: 45 बजे तक (सिंह लग्न में)

सुबह 07:50 से 09:20 तक- लाभ

सुबह 09:20 से 10:50 तक- अमृत

दोपहर 12:20 से 01:50 तक- शुभ

दोपहर 1:10 से 3: 26 बजे तक (वृश्चिक लग्न में)

शाम 04:50 से 06:20 तक- चल

मध्यरात्री 12: 01 से 1: 59 बजे तक (वृष लग्न में- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त)

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