- मयंक शास्त्री बहुत सुन्दर...नमस्ते...सुप्रभात
...आपका दिन शुभ हो। मुस्लिम भाइयों को अलविदा जुम्मा की मुबारकवाद। 9 hours ago · · 1 - Kailash Prakash Pathak अलविदा जुम्मा की मुबारकवाद।9 hours ago · · 1
- Brijesh Saxena अलविदा जुम्मा की मुबारकवाद
- दोस्तों आपका ..मेरा और पुरे देश के लोगों का एक ही सपना है ...भ्रष्टाचार मुक्त भारत ...आज़ाद भारत ..भाईचारे और सद्भावना का भारत ..एक दुसरे के दुःख दर्द में काम आने वाला भारत ..एक दुसरे के त्योहारों पर मुबारकबाद देने वाला मिली जुली संस्क्रती का अखंड खुश हाल भारत ..जी हाँ दोस्तों कवि ..शायर कहते है के क्या खूब हिन्दुतान हो यहाँ मन्दिर में हो अज़ान और मस्जिद में हो घंटिया.........तो दोस्तों जो लोग ऐसा सोचते है उनकी इन्तिज़ार की घड़ियाँ खत्म सी हो गयी है फेसबुक और इंटरनेट की इस दुनिया ने जहां एक तरफ समाज कंटकों को प्रोत्साहित कर नफरत फेलाने का काम किया है वहीं दूसरी तरफ अब इसी दुनिया की वजह से हिन्दुस्तान में bhaichara सद्भावना एक दुसरे से पहचान और एक दुसरे की संस्क्रती और त्योहारों में योगदान का दरवाज़ा खोल दिया है......आज अलविदा का जुमा था में सुबह उठा कुछ पोस्टें लिखीं ........और थोड़ी देर बाद ही मयंक शास्त्री जी ..केलाश पाठक और ब्रिजेश जी सक्सेना ने मुझे गद गद कर दिया मुझे गर्व हुआ के में इंसानों के बीच रहता हूँ मुझे गर्व हुआ के में हिन्दुस्तानी हूँ और ऐसे हिन्दुस्तानियों के बीच में रहता हूँ जो एक दुसरे को त्योहारों को मुबारकबाद देने का जज्बा रखते है एक दुसरे से दिल मिलाने की पहल करते है मेरी फेसबुक पर इन भाइयों ने हर पोस्ट पर कमोबेश अलविदा जुमे की मुबारक बाद दी और यह मुबारकबाद मेने आज दिन भर प्रिंट आउट निकाल कर कोटा की अदालत में प्रचारित की ..दोस्तों भाई मयंक शास्त्री ..भाई केलाश पाठक और भाई ब्रजेश सक्सेना ने जो कमाल किया है वोह अनुकरणीय है और अब इंशा अल्लाह इस देश में एक बार फिर से निष्पक्ष लोगों ने निर्भीकता से बेबाकी से भाईचारे और सद्भावना के माहोल की शुरुआत कर दी है ..त्योहारों पर मिलन न हो तो कोई बात नहीं लेकिन मुबारकबाद के सिलसिले से दिलों में जगह बनती है प्यार उमड़ता है और अपनापन झलकता है बात छोटी ही सही लेकिन यकीन मानिये इन्ही बातो से मेरा हिन्दुस्तान अखंड भारत और मेरा भारत महान बनता है ..एक बार फिर भाई मयंक ..भाई केलास और भाई ब्रिजेश को इस शुरुआत के लियें सलाम करता हूँ ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 अगस्त 2012
मयंक शास्त्री जी ..केलाश पाठक और ब्रिजेश जी सक्सेना ने भाईचारे और सद्भावना के साथ प्यार ..अमन का पैगाम भेजा है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)