झुंझुनूं/सीकर.रमजान में इस बार फिर वही संयोग बना है जो 1947 में था। जब वतन का जश्ने आजादी मना था तब रमजान महीने की 27वीं शब थी। शब-ए-कद्र का यही खास मौका इस बार भी आजादी के जश्न के दिन ही आया है।
आजादी के 65 साल बाद पहली बार यह मुबारक संयोग बना। झुंझुनूं के तत्कालीन शहरकाजी अमीनुद्दीन ने निकाह रजिस्टर में इसका बाकायदा उल्लेख कर रखा है। बड़े-बड़े हरफों में उन्होंने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता दिवस व उस दिन को 26वां रमजान व जुमातुल विदा लिखा है। मगरीब के बाद 27वीं शब थी।
इस मुकद्दस रात को इबादत की तमाम रातों में बेहतर माना जाता है। इसी रात कलाम पाक नाजिल हुआ था। शहरकाजी शफीउल्लाह सिद्दीकी बताते हैं कि उस समय हिजरी सन 1366 था ।
27वीं शब आज
रमजान उल मुबारक की बेहतरीन बा बरकत रातों में शामिल 27वीं शब बुधवार रात मनाई जाएगी। इस रात में की गई इबादत का सवाब हजार रातों की इबादत से बेहतर होने के कारण लोग रातभर रब की इबादत करेंगे।
आजादी के 65 साल बाद पहली बार यह मुबारक संयोग बना। झुंझुनूं के तत्कालीन शहरकाजी अमीनुद्दीन ने निकाह रजिस्टर में इसका बाकायदा उल्लेख कर रखा है। बड़े-बड़े हरफों में उन्होंने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता दिवस व उस दिन को 26वां रमजान व जुमातुल विदा लिखा है। मगरीब के बाद 27वीं शब थी।
इस मुकद्दस रात को इबादत की तमाम रातों में बेहतर माना जाता है। इसी रात कलाम पाक नाजिल हुआ था। शहरकाजी शफीउल्लाह सिद्दीकी बताते हैं कि उस समय हिजरी सन 1366 था ।
27वीं शब आज
रमजान उल मुबारक की बेहतरीन बा बरकत रातों में शामिल 27वीं शब बुधवार रात मनाई जाएगी। इस रात में की गई इबादत का सवाब हजार रातों की इबादत से बेहतर होने के कारण लोग रातभर रब की इबादत करेंगे।
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