15 अगस्त, बुधवार को प्रदोष व्रत है। धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास की दोनों त्रयोदशी को भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। सूतजी के अनुसार बुध प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बुध प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है-
- प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
- शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी की षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 अगस्त 2012
बुध प्रदोष 15 को, हर मुराद पूरी करता है ये व्रत
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