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18 अगस्त 2012

4 फीट की बर्फी, 2 फीट के घेवर से लगा मथुराधीशजी छप्पनभोग


कोटा. 25 साल बाद किशोरपुरा के छप्पनभोग (प्रथमेश नगर) परिसर में शनिवार शाम वल्लभकुल संप्रदाय का सबसे बड़ा मनोरथ यानी बड़ा छप्पनभोग महोत्सव मनाया गया। वृंदावन के विशेष फूलों से सजे-धजे मंच पर छप्पनभोग के समक्ष स्वर्ण हाटड़ी में भगवान मथुराधीशजी के दर्शन हुए।

हवेली गायन पद्धति पर गूंजते प्रभु भजनों के बीच इस मनोरथ को देखने शहर उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी थी कि मुख्य द्वार से अंदर आने वालों को बाहर निकलने में आधे घंटे से ज्यादा समय लगा। दर्शनों के लिए किशोरपुरा आशापुरा मंदिर तक 4 लाइनों में महिलाएं-पुरुष थे। छप्पनभोग का पूरा आयोजन वल्लभकुल संप्रदाय के प्रथम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्रीविट्ठलनाथजी (श्रीलालमणि) के पुत्र प्रथम पीठाधीश्वर मिलन बाबा के सानिध्य में हुआ। सांसद इज्यराजसिंह भी दर्शन के लिए पहुंचे। यहां रविवार शाम फूलबंगला के दर्शन होंगे। इसके बाद ठाकुरजी रविवार अथवा सोमवार को गुप्त रूप से फिर से अपने स्वगृह नंदग्राम में बड़े मथुराधीशजी मंदिर में पधारेंगे।

40 लोगों ने 15 दिनों में तैयार किया छप्पनभोग

ठाकुरजी के छप्पनभोग को तैयार करने के लिए जालौर के सांचोर से आए 40 लोग 15 दिनों से लगे हुए थे। छप्पनभोग में 32 बोरी शक्कर, 125 पीपे घी, 800 किलो मैदा, 1400 किलो बेसन एवं 1800 किलो आटा उपयोग में लिया गया। इसके अलावा 40 किलो बादाम, 40 किलो काजू, 40 किलो पिसता, 40 किलो किशमिश अलग से उपयोग में लिए गए थे।

800 टोकरियों में सजा था भोग

छप्पनभोग महोत्सव के अवसर पर बने व्यंजन छोटी-बड़ी 800 आकर्षक टोकरियों में सजाए गए थे। छप्पनभोग में बने व्यंजनों में 4 फीट की बर्फी और 2 फीट के घेवर भी थे, जो श्रद्धालुओं को दूर से ही मोहित कर रहे थे। इसके अलावा व्यंजनों में नुक्ती, मगध, मक्खन, सेव सहित 10 तरह के लड्डू, मठरी, काजू-कतली, मोहन दाल, राजभोग, मावा बाटी, मैसूर पाक, चावल के 5 तरह के व्यंजन, मीठे, मलाई के और फीके घेवर बनाए गए थे। व्यंजनों में मटकों में दाल और आटे का हलुवा भी था।

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