शिव चरित्र में छुपे वैभव, वैराग्य व संहार के साथ कल्याण के भाव दरअसल ज़िंदगी की सच्चाईयों को सामने रख जीने की ही सीख देते हैं।
ऐसे ही कल्याणकारी देवता भगवान शिव की पूजा के लिए शास्त्रों में बताए एक विशेष मंत्र का स्मरण हर रोज सुबह खासतौर पर शिव भक्ति की तिथियों जैसे चतुर्दशी व अष्टमी पर किया जाए तो इसके शुभ प्रभाव से भरपूर मानसिक शक्ति मिलने के साथ जीवन तनाव, दबाव व परेशानियों से दूर रहता है और उम्मीदों से भी ज्यादा सफलता मिलती है।
कल अधिकमास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि है, जो शिव भक्ति से मुरादें पूरी करने के लिए अचूक मानी जाती है क्योंकि यह शुभ तिथि अधिकमास के साथ तकरीबन 3 साल में ही 1 बार आती है। साथ ही इस दिन गुरुवार यानी गुरु व भगवान विष्णु की भक्ति का योग भी है। शिव भी जगतगुरु माने जाते हैं। इसलिए जानिए अधिकमास, चतुर्दशी तिथि व गुरुवार के संयोग में किस विशेष शिव मंत्र से अपनी मुरादें पूरी करें-
- सुबह शिवलिंग या शिव की मूर्ति का पवित्र जल स्नान कराकर चंदन, अक्षत व बिल्वपत्र चढ़ाएं। धूप व दीप लगाकर नीचे लिखे शिव मंत्र का ध्यान करें -
शान्ताकारं शिखरशयनं नीलकण्ठं सुरेशं।
विश्वाधारं स्फटिकसदृशं शुभ्रवर्णं शुभाङ्गम्।।
गौरीकान्तं त्रितयनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वन्दे शम्भुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
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