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31 अगस्त 2012

पैर टूटा, फिर भी 11 घंटे रखा हवालात में



 
कोटा. किशोरपुरा पुलिस ने पैर में फै्रक्चर होने के बावजूद चोरी व हमले के आरोपी युवक को अस्पताल पहुंचाने की बजाय 11 घंटे तक लॉकअप में बंद रखा। वह दर्द से कराहता रहा और पुलिस पूछताछ करती रही।
हालत बिगड़ने पर शुक्रवार को दोपहर उसे एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया। शाम को अस्पताल में मजिस्ट्रेट को लाया गया और उसे पेश किया। परिजनों व घायल युवक ने पुलिस पर रात-भर लॉकअप में यातना देने का आरोप लगाया है। आरोपी किशोरपुरा थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उधर, थानाधिकारी ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जब युवक ने दर्द की शिकायत की तभी अस्पताल में भर्ती करा दिया था।
अधरशिला निवासी अब्दुल नईम (50) पर बुधवार रात कुछ लोगों ने घर में घुसकर हमला कर दिया था। हमलावरों में से एक चिंटू का साथी साजीदेहड़ा में रहने वाला मोहम्मद रफीक (25) पर भी घटना में शामिल होने का आरोप था। किशोरपुरा पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर गुरुवार रात 2.30 बजे रफीक के घर दबिश दी। पुलिस से बचने के लिए रफीक भागा और छत से नीचे कूद गया, इससे उसके बायां पैर टूट गया। पुलिस उसे व उसके एक साथी को पकड़कर थाने ले गई। वह दर्द से कहराता रहा, लेकिन पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी।
एमबीएस अस्पताल में भर्ती रफीक ने बताया कि वह दर्द से कराहता रहा, लेकिन किसी ने दर्द की गोली तक नहीं दी। पुलिस ने पड़ौस में रहने वाले टिंकू उर्फ अनवर को भी पकड़ा। दोनों को रातभर लॉकअप में रखा और मारपीट की। दोपहर तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो एमबीएस अस्पताल में छोड़ गए। डॉक्टर ने पैर में रॉड डलने व ऑपरेशन की बात कही है।
हमने तो दर्द का पता चलते ही भर्ती करा दिया
‘पुलिस ने दबिश की कार्रवाई की तो मोहम्मद रफीक छत पर भागा और नीचे कूद गया। पुलिस ने कोई मारपीट नहीं की। मोहम्मद रफीक के खिलाफ 12 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने कोई यातना नहीं दी। रफीक ने दर्द की शिकायत की तब पुलिस ने अस्पताल में भर्ती करा दिया। हर बदमाश पुलिस से बचने के लिए दर्द व अन्य नाटक करता है। बाद में जब लगा कि उसके पैर में चोट है तो उसे भर्ती करा दिया है। वह पुलिस की कस्टडी में ही है। ’-ओम प्रकाश चंदोलिया, सीआई, किशोरपुरा थाना

1 टिप्पणी:

  1. पुलिस का अमानवीय रवैया जगजाहिर है, इस घटना की उच्चाधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए !
    आपकी मानवीयता सराहनीय है अख्तर साहब !

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