ये घटना बहुत ही दुर्लभ है। पिछले 100 से अधिक सालों में ऐसा देखने में नहीं आया कि शनिवार को शुरू होने वाले कालसर्प योग जिसमें राहु-केतु अपनी नीच राशि में रहेंगे और इसी कालसर्प में नागपंचमी का पर्व आ रहा है।
राहु और केतु के कारण कालसर्प योग बनता है। राहु और केतु शनि के दोनों हाथ हैं। शनि किसी को कर्मो का फल देता है तो राहु और केतु के द्वारा ही देता है। शनिवार को ही राहु और केतु के कालसर्प योग बनने और इस कालसर्प योग में नागपंचमी का पर्व आने के कारण ये घटना बहुत बड़ी और असरदार रहेगी।
भाई नागपंचमी शनिवार को नही सोमवार 23 जुलाई 2012 को है। मैटर कापी पेस्ट करते समय सावधानी रखे।
जवाब देंहटाएं