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09 जुलाई 2012

कोटा कोंग्रेस में चल रही महाभारत पर कोंग्रेस हाईकमान की चुप्पी यहाँ कोंग्रेस को खत्म कर देगी कोंग्रेस को

राजस्थान के कोटा में इन दिनों फिर से कोंग्रेस में महाभारत की शुरुआत हो गयी है ..तेरी मेरी और एक दुसरे को नीचा दिखने चुनावों में एक दुसरे को पटखनी देने का दोर तेज़ी पर है लेकिन इस मामले में हाईकमान सभी कुछ जानकार भी खामोश है और अब जो हालात बने है वोह विस्फोटक से हो गये है लोगों का कहना है के कोटा कोंग्रेस में तूफ़ान के पहले की ख़ामोशी का माहोल है ...कोटा में कोंग्रेस और कोंग्रेस के अग्रिम संगठन धड़ों में बंटे हैं ........ एक गुट भरत सिंह जो अभी सार्वजनिक निर्माण मंत्री है .दुसरा गुट शांति धारीवाल जो राजस्थान के दिग्गजों और नीतिकारों में गिने जाते है तीसरा गुट नईमुद्दीन गुड्डू का बना है ..पिछले दिनों नईमुद्दीन गुड्डू को कोंग्रेस का बहुमत होने पर भी भाजपा के लोगों के साथ कोंग्रेसियों ने सोदेबाज़ी कर जो क्रोस वोटिंग की थी और नईमुद्दीन गुड्डू को हरा कर भाजपा का जिला प्रमुख और खुद क्रोस वोटर उपजिला प्रमुख बने थे तब से ही गुटबाजी की यह लड़ाई तेज़ हो गयी है .. कोंग्रेस हाईकमान ने इस गंभीर मसले को ठंडे बसते में डाल कर और एजी में घी डालने का काम किया फिर शहर और देहात जिला अध्यक्षों ब्लोक अध्यक्षों की नियुक्ति ने समीकरण बिगाड़ दिए ..भरत सिंह ने खुद का मुस्लिम प्रेम जताने के लियें खुद के ब्लोक से दो मुस्लिम नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में भेज दिया ..भरत सिंह ने पहले सी ऐ डी पुलिस भवन में रोड़ा अटकाया ....फिर कोटा के छत्रविलास उद्ध्यान में ट्रेन संचालन मामले में बाधा डालने की कोशिश की लेकिन राजधानी जयपुर में इसका इलाज हुआ ओर सार्वजनिक पार्क पी डब्ल्यू डी भरत सिंह के नियंत्रण से निकाल कर स्वाय्त्शासं मंत्रालय को दे दिया ..बार के प्रमोद भय हों ..बूंदी नेनवा या उनियारा के रामनारायण मीणा हो सभी कोटा में अपना दखल बनाये हुए है ..खुद कोटा की महापोर भी किसी न किसी तरह से गुटबाजी की शिकार होकर प्रेषण और पीड़ित सी चल रही है..अभी कोटा में सिमलिया ग्रामीण पुलिस क्षेत्र के टोल टेक्स पर भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ लूट का मामला दर्ज होना था लेकिन देहात ओंग्रेस अध्यक्ष रुकमनी मीणा ने खुद पत्र लिख कर इस मामले में ऐसी वारदात नहीं होने की लिखित जानकारी दी जबकि ..लूट होने पर भी लुटेरों को रियायत देने की पुलिस की इस हरकत से तिलमिलाए मंत्री भरत सिंह ने खुद निजी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर इस मामले को पहले गृह मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल और फिर कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोक्टर चन्द्रभान के सामने उठाया ..कोग्न्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामगंज मंडी लालबत्ती की कर में घुमे तो खुद कुछ कोंग्रेसियों ने इस खबर को भास्कर अकह्बर की प्रमुख खबर बनाया ....अभी हाल ही में नईमुद्दीन गुड्डू कोंग्रेसी होने के नाते कोटा मार्केटिंग का चुनाव लड़े उनका बहुमत था लेकिन कोंग्रेसियों ने ही सभी मर्यादाएं लांघ कर भाजपा के बने सिंह को फ़ोरम भरवा कर उसे अल्पमत होने के बाद भी चेयरमेन बनवा दिया और नईमुद्दीन गुड्डू को हरा दिया ..समर्थकों में अब इस बात को लेकर तना तनी ही दोनों तरफ पुतले जलाने का बचपना चल रहा है ..एक गुट दुसरे के गुट को घुरा घारी कर रहा है दिलों में दोनों गुटों के जहर भरा हुआ है हालात यह है के दोनों गुटों के अधिकतम मुस्लिम जांबाज़ कार्यकर्ता है जो बिना किसी वजह के गुटबाजी के शिकार होकर एक दुसरे के खिलाफ गलत फहमी बनाकर एड दुसरे से दुश्मनी बढ़ा रहे है ..कोटा में आम मुसलमानों के दिल और दिमाग में यह बिठाया गया है के कोंग्रेस कोटा में किसी भी तरह से मुस्लिम नेता को उभरने नहीं देना चाहती इत्तेफाक कहें या हालात लेकिन हाडोती का इतहास इन आरोपों को साबित करता है पहले स्वर्गीय सत्तार भाई ..अज़ीज़ुल्ला ..इकबाल साहब और अब नईमुद्दीन गुड्डू सभी कट्टर कोंग्रेसी होने के बाद भी बहुमत कोंग्रेस का होते हुए भी चुनाव हर रहे है जिससे कोंग्रेस की तस्वीर बनी है के कोंग्रेस मुसलमानों के वोट लेकर कुर्सी तो हांसिल कर लेती है लेकिन जब वोट देने का नंबर आता है तो बहुमत होने पर भी कोंग्रेसी ही कोंग्रेस के मुस्लिम प्रत्याक्षी को भाजपा से सांठ गांठ कर हरा देते है ..बस इसी हवा ने कोंग्रेस के परम्परागत मुस्लिम वोटर्स में विभाजन कर दिया है ..कोंग्रेस और कोंग्रेस के नेता चाहे शतुरमुर्ग की तरह इस सच से रेट में मुंह छुपा कर कहें के विरोधी मुट्ठी भर लोग है और कोंग्रेस में आल इस वेळ है तो यह सोच कोंग्रेस और कोंग्रेस के नेताओं के लियें घातक होगी ...ताज्जुब तो इस बात पर है के इन गंभीर परिस्थितियों में भी कोंग्रेस हाईकमान चुप खामोश बता है और दिल्ली या जयपुर की तरफ से किसी भी प्रकार के डेमेज कंट्रोल या विवादों के निस्तारण के लियें समझोता वार्ताएं कर सुलह की पहल नहीं की गयी है ..कोटा कोंग्रेस जो इन दिनों सबसे मजबूत है अगर आपसी सर फुटव्वल से नहीं बचाई गयी तो यहाँ के हालात बुरे से बहुत बुरे होंगे और कोंग्रेसी नेतओं के अहंकार की आग में कोंग्रेस की कामयाबी यहाँ दफन होकर रह जायेगी इसलियें अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है कोंग्रेस हाईकमान इस गम्भीरता को नोटिस ले यहाँ के सभी गुटों को बुलाकर समझोता वार्ता करे और डेमेज कंट्रोल कर गुटबाजी खतम करे ताके कोंग्रेस एक बार फिर टार्गेट २०१४ पूरा कर सके और अपनी जीत का जश्न मना सके .......... । अगर कोंग्रेस हाईकमान इन गम्भीर परिस्थितयों में भी मूकदर्शक रहा तो हालात सर फुटव्वल और सडकों पर मारपिटाई के भी हो सकते है .......अगर ऐसा हुआ तो कोग्न्रेस हाईकमान खुद को कभी माफ़ नहीं कर सकेगा .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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