एसआई अनीस अहमद ने बताया कि गुरुद्वारा मेन रोड कोटा जंक्शन निवासी सतविंदर सिंह पुत्र प्रतापसिंह ने 4 फरवरी 2012 को कोर्ट में इस्तगासा पेश कर आरोप लगाया था कि महिला वकील एडीजे 5 में एडिशनल पीपी विभा प्रधान व उनके भाई प्रदूषण नियंत्रण मंडल बोर्ड में कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी राजेंद्र मोहन प्रधान व अन्य ने षड्यंत्र रचकर फर्जी तरीके से मकान की लीज डीड तैयार कर ली। पुलिस ने इस्तगासे पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
इसमें फरियादी एवं गवाहों के बयान दर्ज किए। पुलिस ने इस मामले में दस्तावेज बरामद किए, जिससे पता चला कि राजेंद्र ने बहन विभा के नाम की गई लीज डीड फर्जी है। पुलिस ने लिप्तता पाए जाने पर आरोपी विभा प्रधान एवं राजेंद्र मोहन प्रधान को सोमवार रात को गिरफ्तार कर लिया।
मां ने वसीयत में दिया था मकान
एसआई अनीस ने बताया कि 20 साल पहले आरोपियों की मां बृजदेवी ने वसीयत कर भीमगंजमंडी मेन रोड पर स्थित मकान का दोनों को आधा-आधा हिस्सा दिया था। राजेंद्र ने 2003 में जी मनी कंपनी से 3 लाख का लोन लिया। लोन लेने से पहले ही बहन विभा ने अपने आधे हिस्से को राजेंद्र के नाम कर दिया और उसके बाद ही 17 जनवरी 2003 में ही भाई ने भी अपना आधा हिस्सा बहन के नाम करने की दूसरी रिलीज डीड तैयार कर दी।
पहली डीड रजिस्ट्रार के यहां से सही तरीके से बनवाई गई थी। दूसरी उन्होंने रजिस्ट्रार की फर्जी मुहर व हस्ताक्षर कर तैयार की। राजेंद्र ने बैंक का लोन नहीं चुकाया और कोर्ट ने उसकी कुर्की के आदेश दे दिए। सतविंदर सिंह ने बैंक की नीलामी में 50 लाख का मकान केवल 7.50 लाख रुपए में खरीदा। इसी दौरान विभा ने भी पूरे मकान को अपना बताते हुए फर्जी कागजों के आधार पर कुलविंदर सिंह को इसे बेच दिया। इसके बाद ही मामले का खुलासा हुआ।
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