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31 जुलाई 2012

यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें

यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें
जी हाँ समझो या न समझो
यह अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें है ॥
इन अल्फाजों का दर्द
इन अल्फाजों में छुपी तडपन
हो सके तो तुम समझ लेना
हो सके तो अपनी प्रतिक्रिया भी देना
वरना यूँ ही में तो फिर से
ज़िंदा लाश की तरह
मुर्दा विचार की तरह
कोने में एक तरफ अकेला
हाँ सिर्फ अकेला
तुम्हारे किसी इन्तिज़ार में पढ़ा रहूँगा ॥
जी हाँ यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें
समझो तो ठीक है वरना ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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