शहर में मिलने वाले फलों के सेवन से सेहत बेहतर होने की बजाए लोगों को गंभीर बीमारी हो सकती है। क्योंकि, राजधानी में फल और सब्जी में ऑक्सीटॉक्सिन ही नहीं, बल्कि हिटकुलान, अनुगोर, रोगोर, मिलकुलान ब्लुम व रनटेक्स आदि कई तरह की दवाओं का उपयोग इनका आकार बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। सब्जियों को रंगीन बनाने के लिए भी केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है। ऑक्सीटॉक्सिन को भले ही प्रतिबंधित कर दिया गया हो, किंतु इसके अलावा उसी तरह की कई दवाईयां धड़ल्ले से खाद-बीज बेचने वाले छोटे से लेकर बड़े दुकानों में बिक रही हैं। भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282(ई) दिनांक 16 जुलाई 1996 के तहत ऑक्सीटॉक्सिन की खुली बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके बावजूद इसकी बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जहां ऑक्सीटोसिन के उपयोग से पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने में किया जाता है। वहीं सब्जियों में इसका इस्तेमाल आकार कम समय में बढ़ाने और रंगीन करने में किया जाता है। किंतु इसका सीधा असर इसके उपयोग करनेवालों पर हो रहा है। इसके बावजूद इसकी बिक्री पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लग रहा है।
घातक है ऑक्सीटॉक्सिन
ऑक्सीटॉक्सिन एक ऐसा हार्मोन है, जो मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस के हिस्से से निकलता है। इसमें पाए जानेवाले सोडियम कणों की वजह से महिलाओं के प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही यह प्रसव उपरांत मां के दूध में बढ़ोतरी भी करता है। इसका उपयोग चिकित्सक के द्वारा प्रसव के वक्त किया जाता है। साथ ही जरूरत पडऩे पर मां के दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसी दवा का उपयोग सब्जी व फलों में धड़ल्ले से किया जा रहा है।
हो सकती है गंभीर बीमारी
"कई केमिकल ऐसे हैं जिनका उपयोग फलों और सब्जियों में होता है। ऐसे फलों या सब्जियों के सेवन से निश्चित रूप से इंसान को गंभीर बीमारी हो सकती है। इंसान को ब्लडप्रेशर से लेकर कैंसर तक हो सकता है। इसलिए केमिकल युक्तफल और सब्जी का उपयोग से बचना ही चाहिए।" - डॉ. एसपी प्रसाद, एक्स. प्रोफेसर, बीएयू
रिम्स के डॉ संजय सिंह कहते हैं कि केमिकल से पकाने वाले फलों का सेवन व्यक्ति को बहुत जल्द बीमार कर सकता है। ऑक्सीटोसिन युक्त दूध व सब्जी के प्रयोग से मानव में कई प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके उपयोग से हार्मोंस में परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा कफ, हृदय रोग, सीने में दर्द, भूख नहीं लगना, शरीर का फूल जाना, अचानक वजन में वृद्धि, रुक-रूककर पेशाब आना, अतिसंवेदनशील होना, अनियमित हृदय गति, नर्वस सिस्टम में खराबी, रक्त का जम जाना, निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास व सिर में दर्द आदि की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
लिखी रहती है गंभीर चेतावनी
टैगपोन- 39 केमिकल के डिब्बे में लिखा रहता है कि ‘प्रयोग से पहले संलग्न पत्रिका ध्यान से पढ़े। इस्तेमाल के बाद खाली डिब्बों को गाड़ दें। बची हुई दवा इस प्रकार नष्ट करें कि वातावरण दूषित न हो। बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच और खाद्य पदार्थों से इसे दूर रखें। इथिफॉन टेक्निकल 39 व अन्य सहायक तत्व 61 यानी कुल 100 प्रतिशत।’ ऐसी चेतावनी लिखी सैकड़ों डिब्बियों को राजधानी के फल मंडी के आसपास फेंका हुआ देखा जा सकता है। इससे साफ होता है कि ऐसे खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल फलों के आकार को बढ़ाने और पकाने के लिए किया जा रहा है।
जल्द करेंगे कारवाई
" हमें भी इसकी जानकारी मिली है। हमलोग फल विक्रेताओं द्वारा केमिकल से फलों के पकाने की जांच करेंगे। अगर राजधानी में ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। वैसे अभी हमलोग विभाग में कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं, इसीलिए इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।" - डॉ टीपी वर्णवाल, स्टेट फूड कंट्रोलर, झारखंड.
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