पीने के पानी का रखें ख्याल- एमवाय हॉस्पिटल के डॉ. सलिल भार्गव बताते हैं मॉनसून में शरीर का तापमान कम हो जाता है। ऐसे में गर्म खाना खाने से न सिर्फ टेम्प्रेचर मेंटेन रहता है, बल्कि कई तरह के इन्फेक्शन से भी बचाव होता है। भीगने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां ज्यादा होती हैं। डैंड्रफ भी हो जाता है। भीगने पर तुरंत खुद को सुखा लें। फिल्टर्ड पानी पिंए। इससे पेट में इन्फेक्शन नहीं होगा।
पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील जैन बताते हैं घर के बाहर पानी जमा नहीं होने दें। इससे वहां मच्छर नहीं होंगे। मलेरिया, डेंगू की आशंका कम हो जाएगी। बारिश में नॉर्मल वॉटर लाइन में कंटेमिनेटेड पानी मिल जाता है। इसी वजह से टायफाइड, जॉन्डिस के मामले 20 से 30 फीसदी तक बढ़ रहे हैं।
इस सीजन में आ रही हैं ये हेल्थ प्रॉब्लम्स
1. फ्लू, कॉमन कोल्ड, वायरल फीवर
सिम्प्टम्स- नाक बहना, गला सूखना, खांसी और बुखार।
कैसे होता है- र्हाइनोवायरस के इन्फेक्शन से। मरीज के छींकने-खांसने या बात करने पर वायरस हवा में फैल जाते हैं।
कैसे बचें- बार-बार हाथ धोएं।
2. मच्छरों से होने वाली बीमारियां
मलेरिया और डेंगू
सिम्प्टम्स- सिरदर्द, ठंड लगना, लगातार तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी।
कैसे फैलता है: मच्छर से।
कैसे बचें: मॉस्किटो नेट और रेपेलेंट का इस्तेमाल करें।
फूड-वॉटर बॉर्न डिसीज
3. कॉलेरा
सिम्प्टम्स- डायरिया, वॉमिटिंग, मांसपेशियों में दर्द और बुखार।
4. टायफाइड
सिम्प्टम्स- बुखार, पेट दर्द, सिरदर्द, पेट और चेस्ट पर रैश।
5. डायरिया
सिम्प्टम्स- डीहाइड्रेशन, पेट में दर्द।
कैसे होता है- बासी और फंगस लगे खाने से, गंदा पानी पीने से।
कैसे बचें- हमेशा उबला पानी पिएं, खाना ढंक कर रखें।
हर हफ्ते के औसतन मामले
- 80 मामल टायफाइड के।
- 100 जॉन्डिस के।
- 30 मलेरिया के।
- 50 फूड पॉइजनिंग के।
- 250 केस थ्रोट इन्फेक्शन के।
- 10 केस कंजक्टिवाइटिस के।
- 100 फ्लू के।
(आंकड़े एमवाय, चोइथराम, सीएचएल अपोलो, सिनर्जी और बॉम्बे हॉस्पिटल के ओपीडी के मुताबिक)
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