आपका-अख्तर खान

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18 जुलाई 2012

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले...मुसलमानों की समस्याओं का यही तो हाल है बस .



हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उसकी गरदन पर
वो ख़ूँ जो चश्म ए तर से उम्र भर यूँ दमबदम निकले

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बेआबरू होकर तेरे कूंचे से हम निकले

भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
अगर उस तुररा ए पुरपेचोख़म का पेचोख़म निकले

मगर लिखवाए कोई उसको ख़त तो हम से लिखवाए
हुई सुबह और घर से कान पर रखकर क़लम निकले

हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जामेजम निकले

हुई जिनसे तवक़्क़ो ख़स्तगी की दाद पाने की
वो हमसे भी ज़्यादा ख़स्ता ए तेग ए सितम निकले

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख के जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

कहाँ मैख़ाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले.......जी हाँ दोस्तों ग़ालिब की गज़ल का यह पहला शेर हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले हमारे मुस्लिम मसले मसाइलों के समाधान के लियें किये जा रहे कार्यों के लिए सटीक साबित होता है हमारे मसले मसाइल कुछ इतने इकट्ठे हो गए है के उन्हें हल करते करते थक भी जाओ तो भी मसाइल हल नहीं हो पायेंगे लेकिन फिर भी जो मिल जाए उसे स्वीकार करो और आगे की तय्यारी करो ..अभी राजस्थान के कोटा जिला वक्फ कमेटी की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कोटा शहर काजी अनवार अहमद की उपस्थिति में राजस्थान के काबिना मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने मुसलमानों से हुए नो मुहाय्दों में से सात पर अपनी मुहर लगा कर समस्याओं का समाधान क्या समाधान भी ऐसा के ऐतिहासिक हुआ है उनका स्वागत सत्कार मुस्लमों ने ऐतिहासिक किया तो उनकी घोशनाए भी ऐतिहासिक रहीं ..स्टेशन पर दो नये कब्रिस्तान .....किशोरपुरा साजिदेह्दा में मुस्लिम गर्ल्स होस्टल ..जन्ग्लिशाहा बाबा परिसर में विशाल महफिलखाना विस्तार ..रंगबाड़ी कब्रिस्तान का राजस्व रिकोर्ड में अंकन ..दुसरे कब्रिस्तान की बाउंड्री ..नानाता मुनि जी का कुंड में सामुदायिक भवन ..मकबरा लाडपुरा में सामुदायिक भवन ..पचास कब्रिस्तानों का रख रखाव .हजीरे कब्रिस्तान का सोंद्र्य्करण सहित कई ऐसे काम थे जो पन्द्राह करोड़ से भी अधिक के है ..केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल के इस काम को ऐतिहासिक कहा जा सकता है और जब उन्होंने लडकों के होस्टल और वृद्धाश्रम की घोषणा की तो ताल्लियों की गडगडाहट देखने जेसी थीं ..लेकिन दोस्तों मंच से जेसे कहा गया के मुसलमानों की सभी समस्याएं खत्म हो गयी है सभी मसाइल हाल हो गये है गलत है यह तो वोह चीज़े है जिनकी बरसों से मांगे थी अभी और भी कई मसले हैं जनिका समाधान होना है और इनके लियें बहुत कोशिश करना होगी एकता दिखाना होगी दबाव बनाना होगा ........कोटा में अभी भी कब्रिस्तानों की समस्या बहुत विकट है ..यहाँ मस्जिदों के अतिक्रमण के मसले है ..कोटा में एक मस्जिद तो रेवेन्यु रिकोर्ड में मन्दिर दर्ज कर दी गयी है जबकि एक मस्जिद रेवेन्यु रिकोर्ड से गायब है ..इसके लियें दस साल से भी ज्यादा वक्त से इन्द्राज दुरुस्ती की दरकार है ......कोटा में विज्ञाननगर के लोगों की कब्रिस्तान समस्या आवंटन होने के बाद भी बनी हुई है यहाँ निजी ज़मीं आवंटित होने से स्टे आ गया है और विज्ञाननगर में कब्रिस्तान की ज्वलंत समस्या है ..जन्ग्लिशाह बाबा भंवर शाह तकिया इलाके में कई कोंग्रेसी कब्जेदार है और पांच अरब रूपये से भी ज्यादा मूल्य की इस सम्पात्ति पर कब्जेदारों से किराया एक करोड़ रूपये महीने का आना चाहिए लेकिन सभी के प्रभाव शाली होने के कारण भाजपा कार्यकाल में इन्हें हटाने के बाद भी यह लोग फिर से आ जमे है इन्हें हटाने के लिए भी सरकार को कुछ मदद मध्यस्थता करना होगी क्योंकि यह लोग सरकार के हिस्सा है ..केथुनिपोल में एक मस्जिद के चारों तरफ सरकारी भूमि पर जो अतिक्रमण है वोह अतिकर्मन के हजारों दोर चलने के बाद भी नहीं हटा पाए है ......शिक्षा का मसला है ..मदरसों का मसला है ...राजस्थान में अल्प्न्सख्यकों के पन्द्राह सूत्र की बैठकों की रस्म अदायगी का मसला है यहाँ कोटा के इंचार्ज सांसद अश्क अली टाक है लेकिन दो वर्षों में उन्होंने कोटा में आकर झाँका तक नहीं है अल्प्स्नक्ख्यक विभाग का कमरा स्टोर रूम बना है उसे खली नहीं करवाय गया है अल्पसंख्यक अधिकारी की स्थाई नियुक्ति नहीं है ..आधुनिक मदरसों की नयी घोषणा नहीं है ..द्वारका बस्ती ..जेके नगर के मदरसे अभी नहीं मिले है सबसे बढ़ी और अहम बाद यह है के कोटा के मुसलमान राजनितिक प्रतिनिधित्व के रूप में जीरो है यहाँ शिकायत है के जिस शिद्दत से मुसलमान कोंग्रेस के साथ है उस अनुपात में राजकीय पदों पर मुस्लिम कोंग्रेसियों को नहीं बताया गया है जहाँ कानून नियम है के यहाँ तो मुस्लिम समाज का व्यक्ति ही नियुक्त होगा वहा मजबूरी है लेकिन सामान्य जाती के महत्वपूर्ण पदों अपर मुस्लिम प्रतिनिधि अपना सबकुछ त्याग कर भी नियुक्त नहीं हो पा रहे है ..जो चुनाव लड़ रहे है वोह बहुमत के बाद भी हार रहे है ऐसा क्यूँ हो रहा है हाईकमान भी जवाब नहीं दे पा रही है ....तो दोस्तों यह सही है के कोटा के मुसलमानों के विकास के लियें यहाँ ऐतिहासिक काम हुए है यह भी सही है के कोटा ही नहीं राजस्थान ही नहीं पुरे हिंदुस्तान में कोटा अकेला ऐसा जिला है जहाँ सरकार और सरकार नहीं कोटा के लाडले विधायक शानातिकुमार धारीवाल केबिनेट मंत्री के प्रयासों से इतने काम हुए है लेकिन जो बाक़ी है वोह भी तो पुरे करना है इसी लियें तो गालिब का यह शेर यहाँ लागू होता है के .......हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..सही बात है न भाई .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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