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28 जुलाई 2012

हंसते-खिलखिलाते महापौर पर कचरा फेंका, राष्ट्रगान का किया अपमान

कोटा. नगर निगम बोर्ड की बैठक : पांच महीने बाद शनिवार को हुई बोर्ड की बैठक में जनता की समस्याओं पर कोई बात नहीं हुई, विपक्ष के पार्षद मुद्दों की बजाए नौटंकी करने में ज्यादा मशगूल रहे। सत्तापक्ष ने धड़ाधड़ कुछ प्रस्ताव पास कर दिए, जिनमें से ज्यादातर व्यक्तिगत या आफिशियल थे, पिछली बैठक भी बजट तक ही सीमित थी।

नगर निगम की शनिवार को हुई साधारण सभा की बैठक में मात्र 40 मिनट में 32 प्रस्तावों में से 27 को पारित कर दिया और 3 सरकार को भेज दिए। इस हिसाब से पारित हुए प्रत्येक प्रस्ताव पर औसत डेढ़ मिनट भी चर्चा नहीं हो पाई। सफाई के नाम पर लगाए गए यूजर्स टैक्स और भवन निर्माण स्वीकृति पर मलबा उठाने के बदले शुल्क 2 हजार रुपए बढ़ाने पर कांग्रेस के तो किसी पार्षद ने विरोध नहीं किया। भाजपाई और निर्दलीय पार्षदों ने भी ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई। हालांकि यूजर्स टैक्स के विरोध में निर्दलीय पार्षद नाटकीय अंदाज में पहुंचे। सिर पर रखी टोकरियों में से विरोध करते हुए सजावटी कचरे को महापौर पर भी फेंका।

बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष बृजमोहन सेन ने डोर-टू-डोर सफाई का चार्ज बिजली के बिलों में जोड़ने का विरोध किया, तो भाजपा के अन्य पार्षदों ने भी ‘यूजर्स चार्ज वापस लो’ लिखीं टोपियां पहन नारेबाजी की। इसी बीच निर्दलीय पार्षद गोपाल मंडा, जसपाल अरोड़ा व जितेंद्र सिंह करों के बोझ से दबे ग्रामीण की वेषभूषा में सदन में पहुंचे। उन्होंने सिर पर टोकरियां रख रखी थी जिस पर निगम द्वारा लगाए जा रहे करों की तख्तियां लगी थी। हंगामे पर ध्यान नहीं दिया तो वे पहले जमीन पर बैठ गए। फिर भी प्रस्ताव पारित होते रहे तो उन्होंने कचरा फेंक दिया। इसके कुछ पल बाद ही महापौर ने राष्ट्रगान शुरू कर दिया और उसके बाद बैठक समाप्त हो गई।

बहस नहीं करने दी

विपक्ष व निर्दलीयों ने आरोप लगाया कि वे सभी बिंदुओं पर बहस करना चाहते थे। सभी 32 बिंदुओं पर हमने सवाल तैयार कर रखे थे। बहस से डरकर महापौर लगातार प्रस्ताव पड़ती रहीं और साजिश के तहत सत्ता पक्ष उन्हें पारित करता रहा। वहीं महापौर डॉ.जैन का कहना है कि वे शांति से बहस करते तो बहस का मौका भी देते। वे तो केवल हंगामा करने आते हैं।

मंडा का निलंबन निरस्त

बैठक शुरू होते ही निर्दलीय पार्षद जसपाल अरोड़ा ने मंडा का निलंबन निरस्त करने प्रस्ताव रखा। पार्षद आनंद पाटनी ने इसका समर्थन किया। सभी के समर्थन करने पर महापौर ने प्रस्ताव पारित कर मंडा को भीतर बुलाया। असंसदीय भाषा का उपयोग करने पर निर्दलीय पार्षद गोपाल मंडा को पिछली बोर्ड बैठक में महापौर ने निलंबित कर दिया था।

राष्ट्रगान का अपमान

बैठक में हंगामा बढ़ता देख पिछली बार की तरह खड़े होकर राष्ट्रगान शुरू कर दिया। गायत्री सिसोदिया ने भी ऐसा ही किया और फिर सभी राष्ट्रगान में शामिल हो गए, हंगामा शांत हो गया। राष्ट्रगान खत्म करने की भी इतनी जल्दी थी कि इसकी अंतिम लाइन जय हे, जय हे, जय हे गाए बिना ही जयहिंद बोलकर सब बाहर की तरफ निकल गए। महापौर का कहना था कि कुछ लोगों ने अधूरा गाया होगा, मैंने तो मन में पूरा राष्ट्रगान गाया था।

प्रस्तावों पर आपत्ति

सत्ता पक्ष के पार्षद एक बाद एक प्रस्ताव पारित कर रहे थे, लेकिन उसी दल की पार्षद गायत्री सिसोदिया ने 3 प्रस्तावों पर आपत्ति लगाई। हंगामे में उनकी बात भी किसी ने नहीं सुनी तो वे उठकर महापौर व सीईओ दिनेश जैन के पास पहुंच गई और आपत्ति दर्ज करवाकर आई। उन्होंने महावीरनगर में सीताराम के मकान के अतिक्रमण को नियमित करने, आशा के फीस लाइसेंस को नियमित करने के प्रकरण तथा बाड़े के लिए जमीन देने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई।

कांग्रेसियों ने किया यूजर्स चार्जेस का स्वागत: विपक्ष जब यूजर्स चार्जेस के विरोध में उतरा तो सत्ता पक्ष की तरफ से पार्षद आनंद पाटनी ने कमान संभाली। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा लगाए जा रहे यूजर्स चार्जेस के स्वागत का प्रस्ताव रखा। जिसका पार्षद जिग्नेश शाह ने समर्थन किया।


ये मसले भेजे राज्य सरकार को

शॉपिंग सेंटर में बरामदों पर निर्माण का नियमन करने संबंधी प्रकरण।
नर्सरी योजना के भूखंडों का आवासीय भू उपयोग परिवर्तन करने का प्रकरण।
दादाबाड़ी में 3-3 फीट के अतिक्रमणों को नियमित कर स्ट्रिप ऑफ लैंड के तहत बेचने का मामला।

इन प्रस्तावों के लिए बनाई कमेटी

लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत द्वितीय अपीलार्थी हीरालाल भंसाली का प्रकरण।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत द्वितीय अपीलार्थी धर्मपाल सिंह का प्रकरण।


बिना बहस के पारित होने वाले प्रमुख प्रस्ताव

भवन निर्माण स्वीकृति के साथ ही मलबा उठाने का शुल्क 2 हजार रुपए तक बढ़ाया जाएगा।
सामुदायिक भवनों का शुल्क निर्धारण कर बढ़ाने पर विचार। पार्षद सिसोदिया व गिर्राज महावर ने इसका विरोध किया था।
विधि अधिकारी के पदों का सृजन करना।
हाईकोर्ट में मामलों की पैरवी के लिए वकील नारायण प्रसाद उपाध्याय को नियुक्त करना।
दशहरा मैदान की जमीन के प्रकरण के लिए वकील मनोज शर्मा को एक लाख पारिश्रमिक पर नियुक्त करना।
निगम में डीटीपी, एसटीपी के पदों का सृजन करना।
रजिस्ट्री नहीं करवाने पर 2 हजार रुपए प्रतिमाह पैनल्टी लगाई जाएगी।
कोटा के महाराजा भीम सिंह व पूर्व उद्योग मंत्री रिखबचंद धारीवाल की शहर में आदमकद प्रतिमाएं लगाई जाएगी।

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