आपका-अख्तर खान

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11 जुलाई 2012

हमारे सत्तर उनके पचास से भी काम फिर भी उनका डॉक्टरी में सेलेक्शन यह सच जानकर मेरी बिटिया और उसकी सहेलियाँ रो पढ़ीं

आरक्षण के मायने हमारे साथ बेईमानी ज़ुल्म ज्यादती और फिर जनता को इलाज के लियें घटिया लोग समझ कर चारों बेटियां रो पढ़ीं ..जी हाँ दोस्तों कल जब में वकीलों की हडताल के बाद अदालत से घर पहुंचा तो मेरी बिटिया जवेरिया और उसकी चार सहेलियां मेरा इन्तिज़ार करती मिलीं ......मेरे फ्रेश होने के बाद मेरी बिटिया सहित चारों सहेलियों ने बेताबी से मुझ से एक सवाल पूंछा ..यह सभी कोटा के कोचिंग एल ऍन कोचिंग क्लासेस में पी एम टी की कोचिंग ले रही है ..उनका सवाल था के कोचिंग में हमसे ऐसा क्यूँ कहा गया की एम्स का मोडल टेस्ट यहाँ होगा और इस टेस्ट में जनरल कास्ट के लियें सत्तर प्रतिशत और एस सी ..एस टी...... ओ बी सी के लियें पचास प्रतिशत लाना जरूरी है ..बच्चियों ने मासूमियत से सवाल किया के जाती के आधार पर यह नम्बर कम ज्यादा आने का कोचिंग में सवाल क्यूँ उठाया गया ..में समझ गया कोचिंग वाले समझाना चाहते थे के आरक्षित जाति के लोग तो पचास प्रतिशत नम्बर लाने पर भी सेलेक्ट हो जायेंगे लेकिन सामान्य जाति के बच्चों के लियें इसी इम्तिहान में कमसे काम सत्तर प्रतिशत तो लाना ही होंगे मेने उन्हें आरक्षित जातियों उनके लाभ और कम नम्बरों में भी उनके सेलेक्शन के नियम समझाये ......उनका दूसरा सवाल था के अंकल एक तरफ तो सत्तर प्रतिशत से ज्यादा वाले बच्चे डोक्टर बनकर मरीजों का इलाज और ओपरेशन करेंगे और दूसरी तरफ पचास प्रतिशत से भी कम आने वाले बच्चे भी मरीजों का इलाज करेंगे तो फिर ऐसे कम नम्बर वाले डोक्टर अगर मरीजों का इलाज करेंगे तो उनका क्या हाल होगा अंकल में निरुत्तर था उनका कहना था के डोक्टर और इंजिनियर में भी अगर ऐसा होता है तो फिर तो देश का बट्टा धार होगा ही ...मेने उन्हें समझाने की कोशिश की के यह हमारे देश में दलितों को ऊँचा उठाने का सिस्टम है कानून है नियम है लेकिन वोह चारो बच्चियां और मेरी बिटिया इस भेदभाव के नियम को समझने को तय्यार नहीं थीं उनका कहना था के जिनके परिवार हमसे भी ज्यादा सम्पन्न है और रोज़ हमसे ज्यादा खर्च करते है उन परिवार के बच्चे भी हमारे साथ रहकर अगर कम नम्बर लाने पर भी हमसे आगे निकलते है तो फिर हम ऐसी भेदभाव वाली पदाई पढ़कर क्या करेंगे मेने फिर से समझाने की कोशिश की लेकिन इन बच्चों ने सवाल तो नहीं किया बस इनकी आँखों में आंसू और मुंह से रुलाई फूट पढ़ी थी और मेरा कलेजा उनका यह हाल देख कर मुंह को आने लगा था ....मेरे पास भी इस भेदभाव वाले कानून के मामले में कोई जवाब नहीं था .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. बाकि सब बात तो ठीक है लेकिन ये बात समझ नहीं आयी "...एक तरफ तो सत्तर प्रतिशत से ज्यादा वाले बच्चे डोक्टर बनकर मरीजों का इलाज और ओपरेशन करेंगे और दूसरी तरफ पचास प्रतिशत से भी कम आने वाले बच्चे भी मरीजों का इलाज करेंगे तो फिर ऐसे कम नम्बर वाले डोक्टर अगर मरीजों का इलाज करेंगे तो उनका क्या हाल होगा"

    जब डाक्टर किसी का ईलाज करता है तो उसके किस क्लास, स्कूल या कालेज में कितनें नम्बर थे इससे उसकी काबलीयत पर शक नहीं किया जा सकता. जितने भी आज डाक्टर हैं उनमें आरक्षण वाले भी हैं. जो बिना आरक्षण वाले डाक्टर हैं उनके भी नम्बर आपस में एक दूसरे से कम या ज्यादा हैं. यदि सभी के लिये पचास प्रतिशत नम्बर कर दिये जायें तो तब आप क्या कहेंगे. किसी के नम्बर 90 परसेंट भी होते हैं. तो क्या वो 70 परसैंट वालों से ज्याद अक्लमंद डाक्टर बन जायेंगे. मेरे हिसाब से ऐसा नहीं है.

    वैसे मैं आरक्षण के पक्ष में नहीं हुँ लेकिन फिर भी हमें हर बार आरक्षण को दोष नहीं देना चाहिये.

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