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20 जुलाई 2012

छोटी उम्र में बच्चे कर रहे हैं बड़ों जैसी शिकायत

कोटा. तलवंडी में पांच साल का उमंग 8 किलो का बैग उठाकर रोज स्कूल जाता है। वह पीठ में दर्द की शिकायत करता है। 11 साल की मानवी कक्षा-8 में है, भारी-भरकम बैग लेकर स्कूल जाने से उसके कंधे में दर्द होने लगा है।

दादाबाड़ी का नमन स्कूल से घर आते ही सबसे पहले बैग को फेंकता है। बोझ के मारे धड़ाम से बिस्तर पर पड़ता है और फिर बिस्तर पर ही ड्रेस चेंज और शूज खोलने लगता है। ऐसे कई बच्चे हैं, जो अभिभावकों से स्कूल बैग के भारी वजन की शिकायत करते हैं, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

भास्कर के आग्रह पर ‘प्रोसीड’ बिजनेस स्कूल के एमबीए स्टूडेंट्स ने इस समस्या को गहराई से जानने के लिए शहर के 30 स्कूलों में व्यापक सर्वे किया। सर्वे टीम ने पाया कि बच्चे एक ही कंधे पर सिंगल स्ट्रिप बैग लटकाकर स्कूल आते-जाते हैं, जिससे उनकी मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। कुछ स्कूलों में फर्स्ट फ्लोर पर क्लासरूम होने से बच्चों को कंधे पर भार उठाते हुए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। सिलेबस ज्यादा होने से किताबों व कॉपियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। नेशनल पेरेंट्स काउंसिल(एनपीसी) ने स्कूल बैग का वजन कम करने की हिदायत देते हुए इसे बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ माना है।

100 पेरेंट्स से बातचीत का निष्कर्ष

82 फीसदी अभिभावक रोज बच्चों के बैग चेक करते हैं।
71 फीसदी ने माना स्कूल बैग लाना- ले जाना गंभीर समस्या।
68 फीसदी ने कहा, ज्यादा-किताबें ले जाते हैं स्कूल में।
60 फीसदी ने माना एक विषय की कई टेक्स्ट बुक, वर्कबुक व कॉपियां।
60 फीसदी बच्चे घर आकर भारी बैग से कंधे में दर्द की शिकायत करते हैं।


क्या कहती है मेडिकल स्टडी

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की वार्षिक कॉन्फ्रेंस में एक रिसर्च पेपर में बताया गया कि 34 प्रतिशत स्कूली बच्चों में वजन से भारी स्कूल बैग के कारण कंधे व पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है। अपोलो सेंटर फॉर एडवांस पीडियाट्रिक्स, नईदिल्ली की एक स्टडी के अनुसार, बैग का वजन ज्यादा होने से स्कूली बच्चों की मांसपेशियों में ‘मस्कुलर स्केलेटल प्रॉब्लम’ होने लगी है।

क्या है सीबीएसई की गाइडलाइन

कक्षा-2 तक बच्चों के बैग स्कूलों में ही रखे जाएं।
बच्चे केवल लंच बॉक्स तथा पेंसिल बॉक्स लेकर स्कूल आएं।
सभी स्कूलों में क्लासरूम लाइब्रेरी सिस्टम बनाया जाए, ताकि बच्चे स्कूल में ज्यादा पढ़ें।


ये हैं एनसीईआरटी के निर्देश

: क्लास-1 व 2 के लिए कोई होमवर्क नहीं
: क्लास-3 से 4 तक 2 घंटे प्रति सप्ताह
: क्लास-5 से 8 तक 5 से 6 घंटे प्रति सप्ताह
: क्लास-9 से 12 तक 10 से 12 घंटे प्रति सप्ताह होमवर्क

सर्वे के बाद टीम के सुझाव

हर स्कूल अपने स्तर पर बस्ते का वजन कम करें।
स्कूलों में स्टूडेंट्स को बुक लॉकर दिए जाएं।
क्लास वर्क नोटबुक स्कूल में ही रखें।
होमवर्क के लिए एनसीईआरटी की गाइडलाइन का पालन किया जाए।

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